पाकिस्तान की गीदड़भभकी:खाने को चीनी नहीं और भारत से दुश्मनी मोल ले रहे इमरान

पाकिस्तान ने भारत से सस्ते दाम पर चीनी और कपास खरीदने के अपने फैसले को वापस ले लिया है। पाकिस्तानी सरकार ने इस फैसले को पलटने के पीछे अवाम का भारी विरोध बताया है, लेकिन वे यह नहीं समझा पाए कि रमजान के पाक महीने में उनकी अवाम सस्ती चीनी कैसे खरीदेगी। इसके अलावा ईद पर पाकिस्तान की गरीब जनता कम दाम में देश में ही बने कॉटन के कपड़े कैसे पा सकेगी। दरअसल, पाकिस्तानी कट्टरपंथी इस बात के लिए इमरान सरकार की आलोचना कर रहे थे कि वह कश्‍मीर में बदलाव हुए बिना ही भारत के सामने झुक गई।

जिसके बाद आनन-फानन में पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और आंतरिक मंत्री शेख रशीद अहमद ने कहा कि पाकिस्तानी कैबिनेट की आर्थिक समन्‍वय समिति ने फैसला लिया है कि भारत जबतक कश्मीर से 5 अगस्त को लागू किए गए अनुच्छेद 370 को खत्म करने के फैसले को वापस नहीं लेती तबतक भारत से आयात प्रतिबंधित रहेगा। अब भारत तो कश्मीर से अनुच्छेद 370 के फैसले को वापस लेने से रहा, जिसके बाद यह तो तय है कि पाकिस्तान और भारत के बीच आर्थिक संबंध पहले की तरह ही बााधित रहेंगे।

गुरुवार पाकिस्‍तानी कैब‍िनेट के फैसले में कपास के आयात के फैसले पर रोक लगाने का निर्णय हुआ। इससे पहले पाकिस्‍तान की कैबिनेट आर्थिक समन्‍वय समिति ने बुधवार को भारत के साथ व्‍यापार को फिर से शुरू करने को मंजूरी दे दी थी। समिति ने कहा था कि पाकिस्‍तान 30 जून 2021 से भारत से कॉटन का आयात करेगा। पाकिस्‍तान सरकार ने निजी क्षेत्र को भारत से चीनी के आयात को भी मंजूरी दे दी थी।

पाकिस्‍तान ने वर्ष 2016 में भारत से कॉटन और अन्‍य कृषि उत्‍पादों के आयात पर रोक दिया था। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्‍तान में चीनी की बढ़ती कीमतों और संकटों से जूझ रहे कपड़ा उद्योग को बचाने के लिए पाकिस्‍तान की इमरान खान सरकार ने भारत के साथ व्‍यापार की फिर से शुरुआत करने को मंजूरी दी थी। दोनों देशों में तनावपूर्ण रिश्‍तों के बीच यह पाकिस्‍तान का भारत के साथ संबंधों को सुधारने की दिशा में पहला बड़ा प्रयास माना जा रहा था।

कपास की कमी के कारण पाकिस्‍तानी कपड़ा उद्योग को भारी संकट से गुजरना पड़ रहा है। पाकिस्‍तान के कपड़ा मंत्रालय ने भारत से कपास के आयात पर लगे बैन को हटाने की सिफारिश की थी ताकि कच्‍चे माल की कमी को दूर किया जा सके। इसी दबाव में इमरान खान सरकार ने पहले कपास के आयात को मंजूरी दी लेकिन जब राजनीतिक दलों ने उन्‍हें घेरना शुरू किया तो उसे खारिज कर दिया।

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