संसद में अनुच्छेद 370 हटाए जाने की घोषणा करने से ऐन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर मंत्रालय ने पूरे दलबल के साथ अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, जर्मनी और खासकर चीन को लेकर रणनीतिक खाका तैयार कर लिया था। भारत को पता था कि इस नए बदलाव से सबसे ज्यादा तिलमिलाहट चीन को होगी। इसको ध्यान में रखते हुए दिल्ली ने रूस को वास्तविकता से अवगत कराकर ऑपरेशन डैमेज कंट्रोल शुरू कर दिया था।
प्रधानमंत्री ने खुद कुछ देशों के प्रमुखों से बात करने की पहल की। विदेश मंत्री एस जयशंकर राजनीति में आने से पहले भारत के विदेश सचिव रह चुके हैं और पुराने कूटनीतिज्ञ भी हैं। मौजूदा विदेश सचिव विजय गोखले के साथ विदेश मंत्री की समझ और समन्वय दोनों ही काफी अच्छी हैं। यही वजह है कि चीन के साथ दोस्ताना रिश्ते के महत्व को बताने के लिए विदेशमंत्री खुद दौरे पर गए।
एस जयशंकर ने बताया कि चीन ने उनसे अपनी चिंताओं को साझा किया और अपना पक्ष भी रखा। चीन का रुख समझने के बाद भारत ने अपनी अंतरराष्ट्रीय कोशिशों को तेजी से धार देना शुरू कर दिया था। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन के साथ तालमेल बनाकर विदेश मंत्री ने खुद संयुक्त राष्ट्र में भारत का पक्ष रखने की रणनीति तैयार की।
भारतीय रणनीतिकारों को पाकिस्तान और चीन के अगले कदम की भनक लग गई थी। भारत को इसका पूरा एहसास था कि मानव अधिकार उल्लंघन को आधार बनाकर पाकिस्तान और चीन उसे घेरने की कोशिश कर सकते हैं। बताते हैं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, गृह सचिव राजीव गाबा, जम्मू-कश्मीर के प्रमुख सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम, राज्यपाल के सलाहकार के विजय कुमार, राज्य में केंद्र द्वारा नियुक्त मुख्य वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा और राज्य के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह समेत प्रमुख महत्वपूर्ण अधिकारियों ने इसके लिए पूरा खाका तैयार कर लिया था।
एनएसए डोभाल जम्मू-कश्मीर में लगातार 12 दिन तक कैंप करके कानून-व्यवस्था समेत अन्य को सुनिश्चित करने और शुक्रवार की जुमा की नमाज, बकरीद, स्वतंत्रता दिवस के शांतिपूर्ण तरीके से बीत जाने और संयुक्त राष्ट्र में इस मामले में चीन और पाकिस्तान की पहल पूरी हो जाने के बाद दिल्ली लौटे हैं। डोभाल के दिल्ली लौटने के साथ-साथ प्रशासन ने राज्य में टेलीफोन, मोबाइल सेवा और इंटरनेट को सुचारू करना आरंभ कर दिया था। इस तरह से भारत दुनिया को संदेश दे रहा है कि जम्मू-कश्मीर में न तो कानून-व्यवस्था की कोई समस्या है और न ही मानव अधिकार का उल्लंघन हो रहा है। सरकार अपने नागरिकों के अधिकारों, उनकी जरूरतों और सुरक्षा को लेकर संवेदनशील है।
भारत ने जम्मू-कश्मीर की वैधानिक स्थिति में बदलाव को लेकर चीन और पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया। विदेश मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी और अस्थायी सदस्य देशों को स्थिति से अवगत कराया गया। यह स्पष्ट किया गया कि यह भारत का आंतरिक मामला है और इसकी वैधानिकता में परिवर्तन करने के साथ-साथ पाकिस्तान से लगी हुई नियंत्रण रेखा और चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा का पूरा आदर किया है। पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर भारत की इस रणनीतिक तैयारी को काफी अहम मान रहे हैं। उनका कहना है कि इसके बाद किसी के पास भारत की तरफ अंगुली उठाने का कोई कारण नहीं रह जाता।
पाकिस्तान कर कोशिश जम्मू-कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसमें कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन अंतत: वह नाकाम रहे। विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक राज्य में अभी तक कोई हिंसक वारदात नहीं हुई है। कोई बड़ा प्रदर्शन नहीं हुआ है। मानव अधिकार उल्लंघन की कोई शिकायत नहीं है आई है और भारत ने अंतरराष्ट्रीय मूल्य, मान्यता, परंपरा का कोई अनादर नहीं किया है।
भारत ने पाकिस्तान की कोशिशों को क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतारा बताया है। भारत की इस कूटनीति को जमकर अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है। भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के पाक अधिकृत कश्मीर में जाने, पाकिस्तान के हुक्मरानों द्वारा तनाव पैदा करने की कोशिश और आतंकवाद को शह देने के आरोप लगाए हैं। बताते हैं भारत के आरोप को अमेरिका, फ्रांस, रूस जैसे देशों ने गंभीरता से लेते हुए पाकिस्तान को संयम बरतने के लिए कहा है।