भारत के अल्पसंख्यकों से झूठी हमदर्दी जताने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री Imran Khan अपने देश के अल्पसंख्यकों की जान की रक्षा भी नहीं कर पाते। हालिया घटना पेशावर की है, जहां गुरुवार को हमलावरों ने यूनानी पद्धति से चिकित्सा करने वाले एक सिख हकीम की क्लीनिक में ही गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस ने बताया कि हकीम सरदार सतनाम सिंह (खालसा) को अज्ञात हमलावरों ने 4 गोलियां मारीं, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
इसके बाद हमलावर फरार हो गए। हत्या के कारण अभी स्पष्ट नहीं हैं। पुलिस सभी पहलुओं से हत्या की जांच कर रही है, जिनमें आतंकवाद का पहलू भी शामिल है। Satnam Singh पेशावर के सिख समुदाय के जानेमाने नाम थे और चरसाद्दा रोड पर धरमांदर फार्मेसी नामक क्लीनिक का संचालन करते थे। पेशावर में करीब 15 हजार सिख रहते हैं, जिनमें से ज्यादातर प्रांतीय राजधानी के करीबी जोगन शाह में बसे हुए हैं। ज्यादातर सिख कारोबार करते हैं, जबकि कुछ फार्मेसी का भी संचालन करते हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में पेशावर निवासी चरणजीत सिंह की भी इसी प्रकार हत्या कर दी गई थी।
वर्ष 2016 में Pakistan तहरीक ए इंसाफ के नेशनल एसेंबली सदस्य सोरेन सिंह व वर्ष 2020 में शहर के न्यूज एंकर रविंदर सिंह की भी हत्या हो चुकी है। वर्ष 2017 की जनगणना के अनुसार हिंदू Pakistan का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है, जबकि ईसाई दूसरे नंबर पर आता है। सिख, अहमदी व पारसी भी अल्पसंख्यक समुदाय में शामिल हैं।
धार्मिक अल्पसंख्यकों को अपने अधिकारों के क्रूर दमन का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें न केवल उनके पूजा स्थलों की बर्बरता शामिल है, बल्कि उनके घरों पर हमला और उनकी संपत्ति के अवैध अधिग्रहण ने सबको दुखी किया है। वे नियमित रूप से व्यक्तिगत दुश्मनी से लेकर पेशेवर या आर्थिक प्रतिद्वंद्विता तक बड़े पैमाने पर हिंसा का टारगेट बन जाते हैं। धार्मिक अल्पसंख्यक सरकार से बगैर जुड़े आपराधिक तत्वों और धार्मिक रूप से प्रेरित चरमपंथियों का एक आसान लक्ष्य बने हुए हैं। इस बीच राज्य की नीतियों की हठधर्मिता न्यायिक प्रणाली और कानून के शासन को फिर से शुरू करने में विफल रही है।