CAA के खिलाफ एक महीने से मोर्चेबंदी कर खड़े विपक्ष के विरोध को गुरुवार को बड़ा झटका लगा। आंकड़ों के साथ लैस, कांग्रेस व समाजवादी दिग्गज नेताओं के पूर्व में दिए गए बयानों के साथ तैयार PM नरेंद्र मोदी ने अपने आक्रामक व चुटीले अंदाज में तथ्यों को इस तरह रखा कि कांग्रेस के हाथ पांव सुन्न हो गए और बोल ही बदल गए। CAA से मुस्लिमों को बाहर रखे जाने का विरोध करती रही कांग्रेस ने कहा- उनका विरोध केवल इसलिए था कि इसमें नेपाल व श्रीलंका जैसे देशों के शामिल क्यों नहीं किया गया। राज्यसभा ने नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद ने सदन के अंदर यह बात पूरे विपक्ष की ओर से कही और फिर विपक्ष राष्ट्रपति को धन्यवाद ज्ञापन करने के लिए प्रस्ताव पारित करने से पहले ही बाहर चला गया। ऐसे में यह मानकर चलना चाहिए कि सीएए को मुस्लिम विरोधी बताने का विपक्ष का आरोप अब लगभग ध्वस्त हो गया है। अब विपक्ष को नया रास्ता तलाशना होगा।
पिछले दिनों डा मनमोहन सिंह के बयान, प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाली कमेटी के प्रस्तावों के बाद ही कांग्रेस को अहसास हो गया था कि मुस्लिम के नाम पर सीएए विरोध की जमीन भुरभुरी है। बहरहाल यह विरोध जारी था, लेकिन गुरुवार को PM ने कांग्रेस के इतिहास के पन्नों को खोलना शुरू किया तो कांग्रेस नेताओं की जीभ चिपक गई। दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देने आए PM मोदी ने जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, राम मनोहर लोहिया, कांग्रेस कार्यसमिति के प्रस्तावों का तथ्य सामने रख दिया जिसका निचोड़ यही था कि पाकिस्तान और बंग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है और उन्हें भारत में नागरिकता देना नैतिक कर्तव्य है