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PM मोदी के घाना दौरे पर कांग्रेस ने नेहरू और नक्रूमा के संबंधों को किया याद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 देशों की यात्रा पर रवाना हो गए हैं. पीएम सबसे पहले घाना का दौरा करेंगे. पीएम मोदी के घाना दौरे पर निकलने के साथ ही कांग्रेस ने बुधवार को घाना के पूर्व राष्ट्रपति क्वामे नक्रूमा और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बीच के संबंधों को याद किया.

पीएम 8 दिनों की इस यात्रा के दौरान घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया जाएंगे. इस दौरान पीएम ब्राजील में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी शामिल होंगे.

कांग्रेस ने याद किया इतिहास
पीएम के घाना के दौरे पर रवाना होने पर कांग्रेस ने घाना के पूर्व राष्ट्रपति क्वामे नक्रूमा और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के संबंधों को याद करते हुए पोस्ट किया. कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, सुपर प्रीमियम फ्रीक्वेंट फ्लायर प्रधानमंत्री आज घाना में हैं. 1960 के दशक के मध्य तक, घाना और पूरे अफ्रीका की राजनीति पर क्वामे एनक्रूमा का प्रभाव था. वो बेहद प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक शख्सियत माने जाते हैं. उनका पंडित जवाहरलाल नेहरू से काफी आत्मीय संबंध था और यह रिश्ता घाना की स्वतंत्रता (मार्च 1957) से भी पहले का है.

जयराम रमेश ने आगे कहा, घाना की राजधानी अकरा में एक प्रमुख सड़क का नाम नेहरू के नाम पर है, इसी सड़क पर इंडिया हाउस स्थित है. इसी तरह भारत में भी दिल्ली के डिप्लोमेटिक एनक्लेव में एक सड़क का नाम क्वामे एनक्रूमा मार्ग है.

कांग्रेस ने बताए नेहरू के समय कैसे थे संबंध
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, क्वामे एनक्रूमा ने भारत की लंबी यात्रा 22 दिसंबर 1958 से 8 जनवरी 1959 के बीच की थी. इस दौरान वो नई दिल्ली, मुंबई, नंगल, चंडीगढ़, झांसी, आगरा, बेंगलुरु, मैसूर और पुणे गए थे. सिर्फ बेंगलुरु और मैसूर में उन्होंने पांच दिन बिताए थे. इस यात्रा के दौरान उन्होंने ट्रॉम्बे परमाणु ऊर्जा संस्थान, नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, भाखड़ा नंगल डैम और नेशनल डिफेंस एकेडमी जैसी संस्थाओं का विशेष दौरा किया. उनकी इस विस्तृत यात्रा का एक महत्वपूर्ण परिणाम यह रहा कि भारत ने घाना की वायुसेना की स्थापना में मदद की.

कुछ साल पहले, जब अफ्रीकी उपनिवेशवाद का अंत भी नहीं हुआ था, तब पंडित नेहरू ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में अफ्रीकी अध्ययन विभाग का उद्घाटन किया था. इस मौके पर 5 अगस्त 1955 को उन्होंने कहा था-

यह इतना स्वाभाविक और जरूरी है कि भारत के लोग अफ्रीका का अध्ययन करें, इसीलिए क्योंति अगर आप अफ्रीका के अध्ययन को नजरअंदाज करते हैं, तो आप भारी भूल करेंगे, हमारे लिए यह जरूरी है कि हम अफ्रीका को, उसके लोगों और समस्याओं को समझें, जब मैं अफ्रीका के बारे में सोचता हूं, तो अनेक विचार आते हैं, मुझे मानवता के लिए एक तरह का प्रायश्चित करने की भावना आती है. जिस तरह अफ्रीका और उसके लोगों के साथ सदियों से व्यवहार हुआ है, उसके लिए बाकी दुनिया को पश्चाताप की भावना रखनी चाहिए.

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