ब्लैक फंगस की गुत्थी सुलझी नहीं कि आ गया व्हाइट फंगस

कोरोना महामारी के दौर में अचानक से ब्लैक फंगस ने इंट्री कर जहां लोगों की धड़कनों को बढ़ा दिया था वहीं अब बिहार की राजधानी पटना में व्हाइट फंगस के मामले ने डर की हलचल को तूफ़ान में बदल दिया है. पटना मेडिकल कालेज (PMCH) में व्हाइट फंगस के चार मामले मिलने के बाद से हड़कम्प मचा हुआ है.

PMCH ने व्हाइट फंगस को मरीजों की स्किन के लिए बेहद नुक्सान बताते हुए कहा है कि अगर पहचान होने में देरी हुई तो मरीज़ की जान भी जा सकती है. डाक्टरों ने कहा है कि इस बीमारी के बारे में कोरोना मरीज़ भी सचेत रहें और वह भी होशियार रहें जिन्होंने कोरोना को हरा दिया है.

व्हाइट फंगस इंसान की त्वचा के अलावा आमाशय, आंत, नाखून, किडनी, मस्तिष्क और मुंह के अंदरूनी भाग पर बड़ी तेज़ी से हमला करता है. इसके बारे में देर से जानकारी होने पर मरीज़ की जान बचाना मुश्किल हो सकता है.

इधर देश की राजधानी दिल्ली ब्लैक फंगस के टेंशन से जूझ रही है. दिल्ली में ब्लैक फंगस के 185 मरीजों का इलाज चल रहा है. इनमें सर गंगाराम अस्पताल में 69 और एम्स में 61 मरीज़ भर्ती हैं.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, वाइट फंगस संक्रमण से जुड़े मामले बिहार में सामने आए हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये ब्लैक फंगस से भी ज़्यादा ख़तरनाक साबित हो सकता है।

बिहार में सफेद फंगल संक्रमण से संबंधित 4 मामले देखे गए हैं, जो इस वक्त कोविड-19 के विनाशकारी बढ़ते मामलों से जूझ रहा है। इन मामलों में एक डॉक्टर भी शामिल है, जो फ्रंटलाइन वर्कर के तौर पर काम कर रहा था। हालांकि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि सफेद फंगस संक्रमण अन्य राज्यों में भी फैल रहा है, चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना ​​है कि विषाणुजनित वायरस की तरह, सफेद फंगस, काले फंगस से अधिक ख़तरनाक हो सकता है।

जानिए वाइट फंगस के लक्षण क्या हैं?

  • जिस तरह इस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, इससे जुड़े लक्षण और जोखिम भरे संकेतों के बारे में जानना ज़रूरी है। अभी तक जो पता है, वह ये है कि वाइट फंगस संक्रमण शरीर के महत्वपूर्ण कामकाज को प्रभावित कर सकता है, वहीं ब्लैक फंगस सिर्फ साइनस और फेफड़ों को प्रभावित करता है।
  • यह भी देखा गया कि जिन चारों मरीज़ों को वाइट फंगस का संक्रमण था, उनमें कोविड जैसे लक्षण दिखाई दिए, लेकिन वे सभी नेगेटिव पाए गए।
  • मेडिकल एक्सपर्ट्स ने यह भी सुझाव दिया है कि जिस तरह कोविड​​​​-19 के गंभीर मामलों में अतिरिक्त स्कैन की आवश्यकता होती है, उसी तरह वाइट फंगल संक्रमण का पता लगाने के लिए HRCT स्कैन के समान परीक्षण की आवश्यकता हो सकती है।
  • ब्लैक फंगल इंफेक्शन से वे लोग संक्रमित हो रहे हैं, जिनकी इम्यूनिटी कमज़ोर है, जो पहले से किसी गंभीर बीमारी के शिकार हैं, जैसे डायबिटीज़ या फिर स्टेरॉयड्स का इस्तेमाल किया है। जिन लोगों को उच्च ऑक्सीजन सपोर्ट की ज़रूरत पड़ी, इनमें भी इस बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है।
  • रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रेग्नेंट महिलाएं और बच्चों में भी इस संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है। यही वजह है ति सेनीटाइज़ेशन, बाज़ार से आ रहे सामान को डिसइंफेक्ट करना, आसपास की जगह की साफ-सफाई पर ज़ोर दिया जाना चाहिए, ताकि मरीज़ इसके आसपास सांस लेकर इससे सीधे संक्रमित न हो जाए।

व्हाइट फंगस से कैसे करें बचाव– डॉक्टरों के मुताबिक, व्हाइट फंगस से आसानी से बचाव किया जा सकता है। जिस मरीज को ऑक्सीजन दे रहे है उसके उपकरण में किसी प्रकार का कोई बैक्टीरिया नहीं होना चाहिए। फंगस से मरीज को बचाने के लिए जो भी व्यक्ति ऑक्सीजन ले रहा है उसमें किसी भी प्रकार का कोई वायरस नहीं होना चाहिए।

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