बिहार में ‘खेला’ की आहट ! स्पीकर चौधरी के बयान के बाद आशंका तेज, NDA भी अलर्ट

अवध बिहारी चौधरी के मुताबिक 21 फरवरी से पहले उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने के बावजूद पद पर बने रहने को लेकर कानून में प्रावधान है. माना जा रहा है कि आरजेडी इन्हीं नियमों के सहारे सदन में वोटिंग कराने को लेकर प्रस्ताव लाएगी और कुछ विधायकों की ओर से अनुपस्थित रहने पर आरजेडी राज्यपाल के पास जाकर माइनॉरिटी सरकार का हवाला देकर सरकार बनाने का दावा पेश करेगी.

बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई एनडीए की नई सरकार के अस्तित्व में आने के बाद भी सियासी गलियारों में लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है. वजह है 12 फरवरी को होने वाला फ्लोर टेस्ट. सत्तारुढ़ गठबंधन चाहता है कि फ्लोर टेस्ट से पहले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) कोटे से विधानसभा के स्पीकर को हटा दिया जाए जबकि खुद स्पीकर जल्द अपना पद छोड़ने के मूड में नहीं हैं. ऐसे में यहां पर खेला होने का डर बना हुआ है. स्पीकर की ओर से दिए बयान के बाद आशंका तेज हो गई है. लिहाजा एनडीए भी हरकत में आ गई है.

आरजेडी कोटे से स्पीकर अवध बिहारी चौधरी ने अपनी मंशा साफ कर दी है. नियमावली का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि नोटिस मिलने के बाद उन्हें अपने पद पर 14 दिन तक बने रहने का अधिकार है. ऐसे में अवध बिहारी चौधरी कब तक स्पीकर पद पर बने रहेंगे इसको लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. कहा जा रहा है कि अवध बिहारी चौधरी 21 फरवरी से पहले पद किसी हाल में नहीं छोड़ेंगे. वहीं जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) कोटे से डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी का दावा है कि 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट से पहले अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश होगा और उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना ही पड़ेगा.

स्पीकर के इस्तीफे को लेकर गतिरोध ?

एनडीए की ओर से दावा किया जा रहा है कि महागठबंधन की सरकार के गिरते ही एनडीए के विधायकों द्वारा स्पीकर को हटाने का नोटिस 28 जनवरी को दे दिया गया था. इसलिए उन्हें 12 फरवरी को इस्तीफा देना होगा, वरना अविश्वास प्रस्ताव के जरिए उन्हें उनके पद से हटाया जाएगा. वहीं अवध बिहारी चौधरी सचिव के जरिए नोटिस पाने की बात 7 फरवरी को लेकर कह रहे हैं. इसलिए मामला पेचीदा होता जा रहा है.

अवध बिहारी चौधरी के मुताबिक 21 फरवरी से पहले उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने के बावजूद पद पर बने रहना कानून में प्रावधान है. माना जा रहा है कि आरजेडी इन्हीं नियमों के सहारे सदन में वोटिंग कराने को लेकर प्रस्ताव लाएगी और कुछ विधायकों की ओर से अनुपस्थित रहने पर आरजेडी राज्यपाल के पास जाकर माइनॉरिटी सरकार का हवाला देकर सरकार बनाने का दावा पेश करेगी.

आरजेडी के दावों में कितना दम?

आरजेडी के कई नेता बिहार में खेला होने का लगातार दावा कर रहे हैं. 28 जनवरी को आरजेडी के सरकार से बाहर होते ही तेजस्वी यादव ने भी जोरदार तरीके से बिहार में खेला होने की बात कही थी. वहीं आरजेडी के प्रवक्ता भाई वीरेंद्र भी एनडीए सरकार के खिलाफ खेला होने की बात कहकर लगातार सनसनी फैलाए हुए हैं. इतना ही नहीं कल यानि गुरुवार को लालू प्रसाद की बहू और तेजस्वी यादव की पत्नी राजश्री यादव ने भी दर्जन भर विधायकों का पाला बदलने का दावा कर एक बार फिर फ्लोर टेस्ट के दिन एनडीए सरकार गिराने की पुरोजर वकालत की है.

ऐसे में सवाल उठता है कि आरजेडी जिस ओर इशारा कर रही है, ऐसा होना बिहार में संभव है या फिर आरजेडी मनोवैज्ञानिक दबाव बनाकर असमंजस में रहने वाले कुछ विधायकों को अपने पाले में करना चाह रही है. वैसे जेडीयू के बड़े नेता और मुख्य सचेतक श्रवण कुमार कह चुके हैं कि जेडीयू के विधायकों को खरीदने की कोशिश कुछ ठेकेदारों द्वारा लगातार की जा रही है. लेकिन आरजेडी की ये कोशिश किसी भी हाल में कामयाब होने वाली नहीं है.

जेडीयू नेता इसी वजह से शनिवार को अपने घर बड़े भोज का आयोजन कर रहे हैं, जहां पार्टी के सभी विधायकों की उपस्थिति को खंगाल कर एनडीए के पक्ष में वोट पड़ने को लेकर पुख्ता जानकारी हासिल कर सकेंगे. आरजेडी के तरफ से कही जा रही बातों को जेडीयू लगातार खारिज कर रही है. जेडीयू की ओर से कहा जा रहा है कि पार्टी के तमाम विधायक उनके संपर्क में हैं. इसलिए पार्टी के टूटने का दूर-दूर तक कहीं कोई सवाल ही नहीं उठता है.

दूसरी ओर, कांग्रेस के 19 विधायकों में से 3 का हैदराबाद नहीं जाना काफी कुछ इशारा कर रहा है. कांग्रेस सब कुछ ठीक होने का दावा कर रही है. लेकिन कहा जा रहा है कि ये 3 विधायक जरूरत पड़ने पर एनडीए के पक्ष में मतदान कर सकते हैं. वैसे सारा दारोमदार स्पीकर के बदलने के ऊपर है. अगर अवध बिहारी चौधरी आरजेडी कोटे से स्पीकर पद पर कुछ दिन और बने रहते हैं तो एनडीए के लिए बहुमत साबित करना आसान नहीं रहने वाला है

बीजेपी विधायकों के प्रशिक्षण में क्यों जुटी?

दरअसल, बीजेपी को भी विधायक टूटने का खतरा सता रहा है. कहा जा रहा है कि बीजेपी में सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने से बीजेपी का एक धड़ा खासा नाराज है. इसलिए फ्लोर टेस्ट के दरमियान बीजेपी के विधायक अनुपस्थित रहकर एनडीए का खेल खराब कर सकते हैं. यही वजह है कि 2 दिन पहले शाम को अचानक सम्राट चौधरी के घर भोज का आयोजन किया गया.

वहीं जब बात इससे बनती नहीं दिखी तो 2 दिन के प्रशिक्षण शिविर के नाम पर बीजेपी अपने विधायकों को एकजुट करने में जुट गई. इसलिए गया में दो दिनों का प्रशिक्षण शिविर के नाम पर विधायकों को साथ रखने की पुरजोर कोशिश की बात कही जा रही है.

एनडीए में टूट की संशय का क्या आधार?

जेडीयू और बीजेपी के विधायकों में इस बात का भय है कि नीतीश कुमार मार्च में विधानसभा भंग कर लोकसभा के साथ चुनाव करा सकते हैं. जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव कराने पर एनडीए को फायदा हो सकता है. वहीं जेडीयू जो साल 2020 में महज 43 सीटों पर सिमट गई थी वो लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव कराए जाने पर बीजेपी नेता पीएम मोदी की लोकप्रियता भुनाने में कामयाब रहेगी.

जेडीयू के एक नेता के मुताबिक नीतीश कुमार का आइडिया एक हाथ लो और दूसरे हाथ दो का है. इसका मतलब नीतीश की पार्टी के नेता बताते हैं कि एनडीए को फायदा लोकसभा चुनाव में जेडीयू के आने से होगा ये तय माना जा रहा है. इसलिए जो फायदा बीजेपी लोकसभा चुनाव में नीतीश को साथ लाकर उठाना चाह रही है, वही फायदा नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव में लोकसभा के साथ कराकर पीएम मोदी के नाम पर लेना चाहते हैं.

इसलिए नीतीश कुमार एक साथ चुनाव कराए जाने को लेकर योजना तैयार करने में जुटे हैं. जाहिर है नीतीश कुमार जेडीयू की संख्या बढ़ाने के लिहाज से ये दांव खेलना चाह रहे हैं. वहीं बीजेपी सहित जेडीयू और आरजेडी के विधायक नीतीश कुमार की इस योजना को जानकर खासे परेशान हैं. जेडीयू के एक विधायक के मुताबिक समय से डेढ़ साल पहले चुनाव कराना खतरे से खाली नहीं है. इसलिए कोई भी जीता हुआ विधायक इतने पहले विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरने का पक्षधर नहीं है.

जाहिर है नीतीश कुमार जेडीयू की संख्या बढ़ाने के लिहाज से ये दांव खेलना चाह रहे हैं. वहीं बीजेपी सहित जेडीयू और आरजेडी के विधायक नीतीश कुमार की इस योजना को जानकर खासे परेशान हैं. जेडीयू के एक विधायक के मुताबिक समय से डेढ़ साल पहले चुनाव कराना खतरे से खाली नहीं है. इसलिए कोई भी जीता हुआ विधायक इतने पहले विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरने का पक्षधर नहीं है.

कहा जा रहा है कि आरजेडी कैंप इसी बात को एनडीए विधायकों के बीच तेजी से फैला रहा है. इसलिए एनडीए के कई विधायक 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट के दरमियान नीतीश की सरकार को गिराने के पक्ष में दिख रहे हैं. ऐसे में एनडीए के फ्लोर मैनेजर्स सफल होते हैं या लालू प्रसाद का तिकड़म, ये 12 फरवरी को पता चल जाएगा. लेकिन फ्लोर टेस्ट के दरमियान बिहार में जोरदार खेला होगा इस बात को लेकर संशय बना हुआ है.

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