RBI से सरकार को फंड, कांग्रेस का तंज – देश को इकोनॉमिक इमरजेंसी में धकेला

रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को भारी सरप्लस राशि देने के निर्णय की सख्त आलोचना करते हुए कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार ने देश को आर्थि‍क आपातकाल में धकेल दिया है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार के दबाव में रिजर्व बैंक ने अपनी सीमा क्रॉस की है और इसका परिणाम भयावह हो सकता है। कांग्रेस ने अर्थव्यवस्था के हालात पर एक हफ्ते के भीतर श्वेतपत्र लाने की मांग की है।

खतरे की घंटी है रिजर्व बैंक का निर्णय

आनंद शर्मा ने कहा, ‘रिजर्व बैंक के समूचे सरप्लस को एक बार में ही सरकार को देने का निर्णय लिया गया है। इसमें पिछले एक साल की रिजर्व बैंक की आय भी शामिल है। बेरोजगारी चरम पर है। देश का निर्यात पांच साल पहले के स्तर पर है, सरकार के पास निवेश करने को पैसा नहीं, बैंकों के पास कर्ज देने को रकम नहीं। ऐसे में रिजर्व बैंक ने ऐसा निर्णय लिया जो खतरे की घंटी है। रिजर्व बैंक के बोर्ड ने सरकार के दबाव में यह निर्णय लिया है।’

अर्जेंटीना से लें सबक

आनंद शर्मा ने कहा कि रिजर्व बैंक ने कॉन्ट‍िजेंसी फंड की सीमा में बदलाव करने का निर्णय लिया है। ये आपातकाल के लिए था, जब 2008 में मंदी आई थी तो हमारे पास इस तरह का पर्याप्त फंड होने से देश को संभाला जा सका था। उन्होंने कहा, ‘तमाम कमेटियों ने पहले कॉन्ट‍िजेंसी फंड 8 से 12 फीसदी रखने को कहा था, लेकिन रिजर्व बैंक ने इसे घटाकर 6.4 फीसदी तक कर दिया था। अब इसे घटाकर 5.5 फीसदी कर दिया गया है। इसे डेंजर मार्क से नीचे लाया गया है।’

उन्होंने कहा, ‘रघुराम राजन सहित सहित सभी पूर्व गवर्नर ने इसका विरोध किया था। डॉ. सुब्बाराव, डॉ. रेड्डी, डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने इसको विनाशकारी बताया था। दुनिया में जब कोई बहुत बड़ा संकट आता है, तब ऐसा किया जाता है, अर्जेंटीना ने हाल में ऐसा किया था तो वहां की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई। इसी के विरोध में उर्जित पटेल ने इस्तीफा दिया है। इस निर्णय के विनाशकारी प्रभाव होंगे’।

मोदी सरकार ने इकोनॉमी को किया बदहाल

उन्होंने कहा, ‘मोदी सरकार की नीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लगातार बदहाल किया है। हमारी जीडीपी में लगातार कमी आ रही है। पिछली तिमाही में यह महज 5.8 फीसदी रही है। औद्योगिक मैन्युफैक्चरिंग ढह गई और इसमें ग्रोथ महज 1.2 फीसदी रह गई। रुपया एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन वाली मुद्रा हो गई है। बेरोजगारी चरम पर है। असल बेरोजगारी 20 फीसदी तक पहुंच गई है। लोगों की आय न होने से मांग पस्त है। ऑटो सेक्टर की हालत से यह साफ दिखता है। एनबीएफसी संकट से हालत और खस्ता हुई है।’

आनंद शर्मा ने कहा, ‘कृषि के बाद दूसरा सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले टेक्सटाइल सेक्टर की हालत भी खराब है। कृषि सेक्टर की हालत खराब है। अर्थव्यवस्था को गति देने वाले सभी इंजन पस्त हैं, इकोनॉमी कैसे बढ़ेगी किसी को कुछ पता नहीं।’

बजट के आंकड़ों को दुरुस्त करने के लिए रिजर्व बैंक का सहारा!

कांग्रेस नेता ने कहा कि अर्थव्यवस्था की यह बदहाली मोदी सरकार की नीतियों की वजह से है। सरकार कुछ बताना नहीं चाहती और न ही इस बारे में कोई श्वेतपत्र लाना चाहती। उन्होंने कहा, ‘पिछले बजट में सरकार को जो पैसा खर्च करना था। उसमें 1.5 लाख करोड़ रुपये की कटौती की गई। इसमें 59,000 करोड़ रुपये की गरीबों को मिलने वाली सब्सिडी शामिल थी। सरकार के बजट अनुमान और इकोनॉमिक सर्वे में बहुत बड़ा अंतर है। पिछले साल के बजट के संशोधि‍त अनुमान में 17.3 लाख करोड़ के राजस्व का अनुमान पेश किया गया है, जबकि इकोनॉमिक सर्वे में इसे 15.6 लाख करोड़ रुपये ही बताया गया है। यह लगभग 1.7 लाख करोड़ रुपये का घाटा है. लगभग इतनी ही रकम सरकार रिजर्व बैंक से छीन कर ले रही है। इस बार दुनिया में अगर आर्थ‍िक संकट आया, तो रिजर्व बैंक के पास कोई चारा नहीं है कि वह मदद कर पाए।’

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