यूपी चुनाव से पहले मायावती का ब्राह्मण प्रेम जाग गया है. उन्होंने कहा कि यूपी में ब्राह्मण समाज दुखी है. एससी,एसटी वर्ग हमेशा बीएसपी के साथ रहा. बहुजन समाज पार्टी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को लुभाने और सत्ता में वापसी की तैयारी कर रही है.
देर से ही सही लेकिन बहन जी कुमारी मायावती भी यूपी के चुनावी मैदान में उतर गई है. चुनावी की तैयारियों का बिगुल फूंकने के साथ ही मायावती ने बीजेपी को हराने लिए और समाजवादी पार्टी को सत्ता से दूर रखने के लिए नया दांव खेला है.
बसपा अध्यक्ष मायावती ने रविवार को कहा कि ब्राह्मण भाजपा को वोट नहीं देंगे और उनकी पार्टी अगले सप्ताह अयोध्या से समुदाय को ‘जागृत’ करने के लिए एक अभियान शुरू करेगी. मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, मायावती ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि ब्राह्मण समुदाय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से गुमराह नहीं होगा और आगामी चुनावों में उनकी पार्टी को वोट देगा.
आज मायावती जब सामने आईं तो उन्होंने ब्राह्मणों के कंधे पर बंदूक रखकर बीजेपी और समाजवादी पार्टी पर जमकर निशाना साधा. मायावती ने सीएम योगी की सरकार में ब्राह्मणों को दुखी करार दे दिया. उन्होंने कहा है कि ‘ब्राह्मण समाज दुखी है, उन्होंने बहकावे में आकर बीजेपी को वोट दिया था.’
दलित और पिछड़ा की राजनीति करने वाली मायावती ने 2022 विधानसभा चुनाव के लिए ब्राह्मण कार्ड चला है. ब्राह्मणों को इकट्ठा करने के लिए अपने पाले में करने के लिए BSP यूपी में जिला स्तर पर ब्राह्मण सम्मेलन करेगी और इसकी अगुवाई BSP महासचिव सतीश चंद्र मिश्र करेंगे.
2022 में सरकार बनाने के लिए BSP भी भगवान राम के शरण में पहुंच गई है. 23 जुलाई को BSP के महासचिव सतीश मिश्र अयोध्या से रामलला के दर्शन के बाद ब्राह्मण सम्मेलन की शुरुआत करेंगे. अयोध्या में BSP की ये 29 जुलाई तक चलेगी.
मायावती ने कहा, ‘अयोध्या से एक बार फिर ब्राह्मण समुदाय को जगाने के लिए अभियान चलाया जाएगा. ब्राह्मणों को आश्वासन दिया जाएगा कि बसपा शासन में उनके हित सुरक्षित रहेंगे.’
मुस्लिम वोट के लिए यूपी में मची भगदड़ के बीच मायावती ने ब्राह्मण कार्ड खेलते हुए मुस्लिमों से दूरी बना ली है. मायावती दलित, पिछड़ा वर्ग के साथ अब ब्राह्मणों को साधने में जुट गए हैं. मायावती ने कहा कि ‘किस्म-किस्म के लालच देकर दलितों को अपने पाले में किया लेकिन उनका विकास नहीं हुआ.’
यूपी में चुनाव नजदीक आते ही मायावती यूपी की योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है. बसपा ने 2007 में ब्राह्मणों के समर्थन से यूपी में बहुमत की सरकार बनाई थी.
मायावती ने किसानों के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आना चाहिए और केंद्र को जवाबदेह ठहराना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के प्रति केंद्र का उदासीन रवैया बेहद दुखद है. यह आवश्यक है कि संसद में केंद्र पर हर तरह का दबाव डाला जाए.’
मायावती ने कहा कि बसपा सांसद सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान ईंधन और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि और कोविड टीकाकरण से संबंधित मुद्दों जैसे मुद्दों को उठाएंगे.
मायावती के बाह्मण और अखिलेश के ओबीसी कार्ड पर बीजेपी ने निशाना साधा है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बोले कि यूपी की जनता एसपी, बीएसपी के बहकावे में नहीं आने वाली है.
वहीं कांग्रेस ने भी मायावती पर हमला बोला है और कहा है कि ब्राह्मणों का भरोसा कांग्रेस पार्टी पर है. मायावती के ब्राह्मण कार्ड पर सियासत तेज हो गई है. यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय लल्लू ने कहा है कि ‘मायावती अपना जनाधार भी खो चुकी हैं. ब्राह्मणों को कांग्रेस पर भरोसा है.’