पांच मई विश्व अस्थमा दिवस

विश्व अस्थमा दिवस प्रत्येक वर्ष मई माह के प्रथम मंगलवार को विश्व में Asthma के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। सबसे पहले वर्ष 1998 में ग्लोबल इनीशिएटिव फॉर अस्थमा (जीना) के द्वारा इसकी शुरुआत की गई और प्रत्येक वर्ष “जीना” ही World Asthma Day का आयोजन करता है। Asthma में व्यक्ति की सांस फूलती है, सीने में घर-घराहट होती है, गले में सीटी बजती है। आज अगर देखा जाए तो पूरे भारत में करीब 15 से 20 करोड़ लोग Asthma से पीड़ित हैं। इसमें बच्चों की संख्या भी लगभग 12% के करीब है। Asthma का कारण अनुवांशिक, बढ़ता वायु प्रदूषण, कुछ औषधियां एवं बदलती हमारी जीवन शैली है।

अस्थमा से कैसे बचे…

Asthma के रोगियों को कुछ बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए:- जैसे कि यदि किसी चीज से मरीज को तकलीफ होती है तो उस वस्तु का सेवन बंद कर दें, धूल धुआं गर्दा और नमी वाले स्थानों पर नहीं जाना चाहिए, पशु पक्षी पालने से परहेज करना चाहिए, अपने बिस्तर को सप्ताह में एक बार कम से कम धूप अवश्य दिखाना चाहिए, घर मे धूप और हवा का आदान प्रदान ठीक होना चाहिए, घर में तेज महक वाली अगरबत्ती धूपबत्ती या सेंट का प्रयोग नहीं करना चाहिए, घर में कोई भी रोएदार खिलौने या रोएदार चीजें नहीं रखना चाहिए, घर में सफाई के पोंछा का इस्तेमाल करें, डस्टिंग नहीं करना चाहिए, मिर्च मसाला तेल घी और गरिष्ठ भोजन से परहेज करना चाहिए, तनाव से बचना चाहिए, ब्रीथिंग एक्सरसाइज नियमित रूप से करना चाहिए, सिर ऊंचा करके सोना चाहिए, Asthma के रोगी को धूम्रपान और शराब का सेवन कभी भी नहीं करना चाहिए, सांस के मरीजों को ऋतु परिवर्तन के समय अधिक सावधान रहना चाहिए। जैसे ही खांसी जुखाम बुखार की शुरुवात हो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए और पूर्व में ली जाने वाली दवाएं शीघ्र शुरू कर देना चाहिए। Asthma के मरीजों को पानी अधिक पीना चाहिए और नियमित रूप से भाफ़ का बफारा करना चाहिए।

वर्तमान समय में Asthma का उपचार अत्यंत सरल है। चिकित्सक वर्तमान समय में Asthma का उपचार इनहेलर के द्वारा करते हैं इनहेलर दो प्रकार के होते हैं पहला कंट्रोलर दूसरा रिलीवर। कंट्रोलर इनहेलर नियमित रूप से लिया जाता है जबकि रिलीवर इनहेलर सांस फूलने की स्थिति में लिया जाता है। वायु प्रदूषण से होनी वाली इस बीमारी के लिए गलत उपचार, धूम्रपान आदि जिम्मेदार हैं। प्रदूषण के कारण देश की राजधानी की हालत ऐसी है कि यहां हर किसी को मास्क पहन लेना चाहिए। इस पर अनंत मोहन कहते हैं, ‘आप अपना खान-पान, आदत आदि पर कंट्रोल कर सकते हैं लेकिन आपका नियंत्रण सभी चीजों पर नहीं हो सकता है। दिल्ली में अस्थमा से बचने के लिए MCD के डस्टिंग कर्मचारी और कंस्ट्रकशन के कार्यों से जुड़े मजदूरों को मास्क का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए।’

प्रदूषण तेजी से बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। आज करीब स्कूल जाने वाले 20 फीसदी बच्चे प्रदूषण की वजह से अस्थमा की चपेट में आ रहे हैं। World Asthma Day के अनुसार दुनिया भर में 100 से 150 मिलियन लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। भारत में, इसकी संख्या बढ़ते हुए 15-20 मिलियन तक पहुंच गई है और, Asthma को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में मदद करने वाली सही दवा की पहचान के महत्व पर पर्याप्त जोर दिए जाने तक Asthma के मरीजों की बढ़ती रहेगी।

दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण और हमारे बिगड़ते खान-पान से कई बीमारियां जन्म ले-लेती है। ऐसी ही एक बीमारी है Asthma । देश में सामान्य रूप से बच्चों और यातायात प्रदूषित शहरों में अस्थमा मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल मई महीने में विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है।

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