Russia-Ukraine War: जापोरिज्जिया परमाणु प्लांट पर रूस के हमले के बाद पैदा हुए कई खतरे, एक्शन में आया IAEA

दक्षिणी यूक्रेन में जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर रूसी गोलाबारी की हालिया खबरों के बाद चेर्नोबिल की तरह रेडियोधर्मी सामग्री के रिसाव की आशंका पूरी दुनिया में चिंता का एक बड़ा विषय बनकर उभरी हैं. जापोरिज्जिया यूरोप में सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है. रूसी हमले से संयंत्र में कई सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं. इस संयंत्र मे छह बड़े परमाणु ऊर्जा रिएक्टर हैं और ऐसे में वहां बड़ी मात्रा में परमाणु सामग्री है. वैसे तो ये रिएक्टर चेर्नोबिल संयंत्र की तरह नहीं हैं और इनका डिजाइन अपेक्षाकृत कहीं अधिक सुरक्षित है, लेकिन इससे युद्ध के दौरान इसकी सुरक्षा की आशंका कम नहीं हो जाती.

जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र की जिस इमारत पर हमला हुआ है, वह छह रिएक्टर के ब्लॉक से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित है. इसमें कोई परमाणु सामग्री नहीं है, क्योंकि इसका इस्तेमाल केवल प्रशिक्षण और प्रशासनिक कार्यों के लिए होता था. इस हमले के बाद विकिरण स्तर बढ़ने का कोई संकेत नहीं मिला है. फिलहाल तो सभी रिएक्टरों पर यूक्रेनी कर्मियों का कब्जा है, लेकिन रूसी सेना ने परमाणु संयंत्र के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है. रूसी सेना संकेत दे रही है कि वह संयंत्र पर किसी भी समय हमला कर सकती है.

कम लोगों को थी परमाणु संयंत्रों पर हमले की आशंका
कुछ दिन पहले लगता था कि यूक्रेन के परमाणु संयंत्रों पर हमले की आशंका बहुत कम है. खासकर अपने क्षेत्र के निकट स्थित किसी परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हमला करना अत्यधिक जोखिम भरी रणनीति है. इसके नकारात्मक परिणाम किसी संभावित लाभ से कहीं अधिक हैं. लंदन के किंग्स कॉलेज के रिसर्च एंड नॉलेज ट्रांसफर मैनेजर रोस पील का मानना है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन क्या कर सकते हैं और क्या नहीं, इसे लेकर विशेषज्ञ लगातार गलत साबित हुए हैं.

यूक्रेन के परमाणु संयंत्रों पर खतरा कायम
यूक्रेन के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर खतरा लगातार बना हुआ है. किसी परमाणु रिएक्टर को बंद करने से भी वह तत्काल सुरक्षित नहीं हो जाता. किसी रिएक्टर में ईंधन डालने के बाद वह बंद होने के बाद भी वह गर्मी पैदा करना जारी रखेगा. रिएक्टर के बंद होने के बाद भी इसकी निगरानी और प्रबंधन के लिए कर्मी होने चाहिए. किसी परमाणु संयंत्र पर हमला अंतरराष्ट्रीय नियमों का बड़ा उल्लंघन है. इस प्रकार का हमला बहुत भीषण परिणाम पैदा कर सकता है. इससे हवा में खतरनाक परमाणु सामग्री का बड़ी मात्रा में रिसाव हो सकता है.

अगर जापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र की एक प्रशासनिक इमारत पर हमला करने का रूस का फैसला वास्तव में सोच-समझकर लिया गया था, तो उम्मीद हो सकती है कि वह रिएक्टर पर संभवत: हमला नहीं करेगा. कम से कम मौजूदा हालात में यह संभावना है कि रूसी सैन्य अभियान’ की योजना बनाने वाले अधिकारी केवल एक अहम राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे पर कब्जा करने के तौर पर संयंत्र पर कब्जा करना चाहते हैं. बहरहाल यदि हमला रूस के अनुमान से तीन से चार दिन अधिक खिंचता है, तो अधिक कड़े कदम उठाए जा सकते हैं.

मूक दर्शक नहीं बनेगा आईएईए
इसको देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के प्रमुख राफेल मारियानो ग्रोसी ने हमले के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि एजेंसी वियना से हालात पर केवल नजर नहीं रखेगी. ग्रोसी ने यूक्रेन और रूस से वार्ता के लिए यात्रा करने की इच्छा जताई. हमें यह उम्मीद करनी चाहिए कि वह ऐसे समझौते पर पहुंच पाएं, जिससे परमाणु संयंत्र को न्यूनतम नुकसान हो और संकट सुलझने तक यूक्रेन के परमाणु संयंत्र सुरक्षित तरीके से संचालित किए जा सकें.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1