बिहार पूर्व मुख्यमंत्री Jitan Ram Manjhi किससे समझौता कर रहे हैं? उनका गठबंधन JDU से होगा या राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से? यह सवाल हवा में है। भारतीय जनता पार्टी वाले भी आपस में पूछ रहे पर कोई जवाब नहीं मिल रहा है। एक सहज जवाब यह मिल रहा है कि जिस तरह NDA में रहते हुए लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की दोस्ती केवल BJP से बताई जा रही है, ठीक उसी तरह मांझी NDA में रह कर JDU के दोस्त रहेंगे। BJP से उनका कुछ भी लेना देना नहीं होगा। NDA में चिराग पासवान BJP के साथ रहेंगे तो मांझी नीतीश कुमार को मजबूती देंगे। स्थिति गुरुवार को मांझी के NDA में औपचारिक रूप से शामिल होने के बाद स्पष्ट होगी।
एलजेपी से जेडीयू का सीटों को लेकर समझौता नहीं
मालूम हो कि LJP के मामले में JDU आधिकारिक तौर पर यही कह रहा है कि सीटों के बंटवारा का हिसाब वह बीजेपी से रखे। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी कह चुके हैं कि LJP के साथ JDU का सीटों को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ है। अब अगर हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा (HAM) के अध्यक्ष की हैसियत से जीतनराम मांझी NDA के बारे में कुछ बोलते हैं तो BJP की ओर से उन्हें यही जवाब मिल सकता है- ‘हम’ के साथ हमारी कोई बातचीत नहीं है। हालांकि उपमुख्यमंत्री Sushil Modi ने मांझी का स्वागत किया है। JDU के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि मांझी के आने से हमारा परिवार बड़ा हुआ है। मांझी ने NDA में जुड़ने के सवाल का गोलमोल जवाब दिया- हम Nitish Kumar से मिल रहे हैं। वह NDA में हैं। उस रिश्ते से हम भी NDA का हिस्सा होंगे।
असल में सारा मामला सीटों को लेकर चल रहा है। यदि अधिक पार्टनर होंगे तो हिस्से की सीटें भी कम हो जाएंगीं। BJP व JDUमें सीटों के बंटवारा का फॉर्मूला बन रहा है। इन दोनों दलों के बीच बंटवारा होगा। फिर BJP अपने हिस्से की सीटों में से LJP को देगी। अब अगर मोर्चा स्वतंत्र पार्टी की हैसियत से सीटों की मांग करता है तो उस पर भी LJP वाला फॉर्मूला लागू होगा। उसे JDU अपने हिस्से में से सीट देगा।
मांझी के एनडीए में शामिल होने पर स्थितियां होंगीं स्पष्ट
इन बातों के पहले यह देखना होगा कि मोर्चे का JDU में विलय होता है या वह स्वतंत्र हैसियत से JDU का पार्टनर बनेगा। मांझी ने इस सवाल को गुरुवार तक के लिए टाल दिया है। अब निगाहें आज मांझी के NDA में औपचारिक रूप से शामिल होने पर टिकी है। स्थितियां उसके बाद ही स्पष्ट होंगीं।