UP Election 2022: बस्ती में और बढ़ी चुनावी सरगर्मी, कहीं प्रत्याशियों में शुरू हुई जुबानी जंग, तो कहीं झूठे ऑडियो हो रहे वायरल

बस्ती सदर विधानसभा सीट पर चुनावी मुकाबला रोचक होगा। भाजपा के सामने जहां इस सीट पर कब्जा बनाए रखने की चुनौती है। वहीं, अन्य दलों के सामने इस सीट पर जीत दर्ज कर अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने की चुनौती है। अब तक के चुनाव में कांग्रेस ही ऐसी पार्टी रही है, जिसने यहां से हैट्रिक लगाई है। सपा को इस सीट पर एक बार भी जीत नहीं मिली है।

हार देख कर बौखला रही है बीजेपी: महेंद्र नाथ यादव

समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष और बस्ती सदर से प्रत्याशी महेन्दर नाथ यादव का एक ऑडियो क्षेत्र में वायरल किया गया, जिसने भी सुना बीएस यही कहा की यह आवाज़ महेन्दर नाथ यादव की हैही नहीं। हमारे संवाददाता ने जब सपा प्रत्याशी से बात की तो उन्होने भी ऐसे किसी ऑडियो का खंडन किया और इसे बीजेपी की ओछी राजनीती बताया। जब आम जनता से बात की गयी तो एक बड़े समूह ने इसे बीजेपी की चाल बताया और कहा की महेन्दर नाथ यादव के बढ़ते जनसमर्थन से बीजेपी के प्रत्याशी डर गए हैं, उन्हें अपनी हार साफ़ दिख रही है। आपको बताते चलें की यह वही सीट है जिसे आज तक सपा कभी नहीं जीत पायी लेकिन इस बार समीकरण सपा की तरफ झुके दिख रहे हैं।

वैसे बस्ती सदर विधानसभा सीट पर कमल खिलाने के लिए भाजपा को लंबा इंतजार करना पड़ा है। 1980 में पार्टी के गठन के बाद हर चुनाव में भाजपा मुकाबले में तो रही, लेकिन जीत 2017 में मिली। यहां से वर्तमान विधायक भाजपा के दयाराम चौधरी ने तब सपा के महेंद्र नाथ यादव को शिकस्त देकर कमल खिलाया। बसपा तीसरे नंबर पर रही। इससे पूर्व के चुनावों पर नजर डालें तो 2012 में बसपा के जितेंद्र उर्फ नंदू चौधरी ने जगदंबिका पाल के बेटे अभिषेक पाल को हराकर इस सीट पर अपना कब्जा जमाया था। इस चुनाव में भाजपा तीसरे नंबर थी। 2007 में बसपा के जितेंद्र चौधरी ने कांगेस के जगदंबिका पाल को हराकर सीट पर कब्जा जमाया था। इस सीट से जगदंबिका पाल यहां से 1993, 1996 और 2002 में लगातार तीन बार विधायक चुने गए थे।

केवल एक निर्दलीय हैं मैदान में
इस बार का चुनाव इस बार इसलिए भी रोचक होगा, क्योंकि पहली बार आम आदमी पार्टी ने भी यहां से उम्मीदवार उतारा है। वहीं, निर्दलीय के रूप में केवल एक उम्मीदवार ही मैदान में हैं। दलों की बात करें तो भाजपा से दयाराम चौधरी दोबारा उम्मीदवार हैं। सपा से भी महेंद्र यादव भी दूसरी बार किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं, बसपा ने आलोक रंजन वर्मा, कांग्रेस ने देवेंद्र श्रीवास्तव, आम आदमी पार्टी से रमेश कुमार सिंह, जनहित किसान पार्टी से राम प्रसाद, भारत महापरिवार पार्टी से अंबरीश देव गुप्ता सोनू, बहुजन मुक्ति पार्टी से प्रदीप कुमार, अटल जनशक्ति पार्टी से ज्ञान प्रकाश तिवारी, आजाद समाज पार्टी से अबराबुल हक जबकि बबीता शुक्ला निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।
कुल मतदाता- 3 लाख 69 हजार 150
पुरुष मतदाता- 1 लाख 97 हजार 506
महिला मतदाता-1 लाख 71 हजार 616

उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव अब अपने पूरे शबाब पर पहुंच चुका है. बस्ती (Basti)की हरैया विधानसभा (Haraiya assembly) की बात करें तो पूर्व मंत्री और बसपा प्रत्याशी राजकिशोर सिंह के लिए इस बार का चुनाव अपनी साख बचाने का चुनाव साबित हो रहा है. वर्तमान विधायक और बीजेपी के उम्मीदवार अजय सिंह ने सोशल मीडिया पर आकर साफ ऐलान कर दिया है कि पूर्व मंत्री राजकिशोर ने हरैया पर 15 साल राज किया, तीन बार विधायक रहे और तीन बार मंत्री भी, इसके बावजूद उनके कार्यकाल का पांच साल पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह के 15 साल पर भारी पड़ता दिख रहा है.

बसपा प्रत्याशी का बीजेपी प्रत्याशी पर आरोप
पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह ने परशुरामपुर ब्लॉक क्षेत्र में श्रृंगीनारी मंदिर के पास कार्यालय का उद्घाटन किया. इसके बाद उन्होंने एक जनसभा को भी संबोधित किया. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि 5 साल में विधायक ने कोई काम नहीं किया और उन्हें चुनौती दे रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि हरैया में उन्होंने विकास की नई इबारत लिखी है. सड़कों से लेकर अस्पताल बनवाए, गरीबों की मदद की और आज वो अपने कामों के बदौलत ही जनता से वोट मांग रहे है.

एकतरफा फैसला आएगा-राजकिशोर
पूर्व मंत्री ने कहा कि हरैया की जनता इसबार खुद चुनाव लड़ रही है और आने वाले 10 मार्च को उनके पक्ष में एकतरफा फैसला आएगा. राजकिशोर सिंह ने कहा इसबार विकास के मुद्दे पर चुनाव हो रहा है. वोटरों को कोई बरगला नहीं पाएगा. राजकिशोर ने वोटरों से अपील भी किया कि अगर कोई उन्हें किसी प्रकार का कोई प्रलोभन देता है तो लेने में संकोच मत करें लेकिन वोट आने वाली पीढ़ी के विकास को सोचकर दीजिए.

हरैया इतिहास दोहराएगा-राजकिशोर
पूर्व मंत्री ने कहा बीजेपी उम्मीदवार कहते हैं कि इस बार बाहरी बनाम स्थानीय के बीच लड़ाई है, तो वे साफ कर देना चाहते हैं कि उन्होंने 15 साल हरैया की जनता के लिए लड़ाई लड़ी है इसलिए वो बाहरी नहीं हैं. पूरे पांच साल बीजेपी विधायक हरैया की जनता को गाली देकर भगाते रहे और उनके पास जब कोई आया तो वो उनका सम्मान किए. ऐसे में हरैया एक बार फिर से अपना इतिहास दोहराएगा और विपक्ष चारों खाने चित्त हो जायेगा.

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