लोगों को झांसे में लेकर बैंक खतों को साफ़ करने वाले साइबर जालसाज ओके गिरोह का पर्दाफाश लखनऊ के साइबर क्राइम सेल ने किया है। साइबर क्राइम सेल की टीम ने जामताड़ा के तिलिस्म को एक बार फिर से तोड़ा है। करीब 6 महीने पहले इसी टीम ने एक जालसाज को जामताड़ा से गिरफ्तार किया था। इस बार टीम के 14 सदस्यों ने 12 दिनों तक देवघर और दुमका में डेरा डाल दिया था।
तब पुलिस के हाथ 9 जालसाज हाथ लगे। ACP साइबर क्राइम सेल विवेक रंजन राय के मुताबिक, सचिवालय से रिटायर समीक्षा अधिकारी से 53 लाख की धोखाधड़ी करने वाले ठगों का जाल देशभर में फैला हुआ है।
गिरफ्तार 9 ठगों के खिलाफ छत्तीसगढ़ के 5 जिलों में धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज हैं। वहीं, आरोपियों के पास से मिले मोबाइल से पुलिस को अहम सुराग मिले हैं। इन दस्तावेजों के आधार पर टीम ने जालसाजों के नेटवर्क को तोड़ने की तैयारी शुरू कर दी।
ACP साइबर क्राइम सेल विवेक रंजन के मुताबिक, दुमका निवासी रूपक मंडल और उसके साथियों पर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, कांकेर, दंतेवाड़ा, राजनंदगांव औैर महासमुंद में मुकदमे दर्ज हैं।
आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने यहां संपर्क किया था। पुलिस ने रूपक मंडल और उसके साथियों के पास से 7 मोबाइल फोन बरामद किए हैं। इनमें कुछ पीडीएफ फाइल मिली थीं।
इन फाइलों में SBI के खाताधारकों के मोबाइल नंबर, अकाउंट नंबर, ई-मेल आईडी व अन्य डिटेल हैं। रूपक मंडल के अनुसार, गिरोह के सरगना राजेश, सुमन और प्रमोद ही बैंक कर्मियों की मदद से यह डाटा हासिल करते थे।
जिसके बाद गिरोह के सदस्य लोगों को झांसे में फंसाते थे। पुलिस जालसाजों के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई की तैयारी कर चुकी है। फरार आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी कराए जाएंगे।
ACP विवेक रंजन के मुताबिक, साइबर जालसाजों ने दो साल के अंदर काली कमाई से दो मंजिलों से अधिक पक्के मकान खड़े कर लिए। करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम देने वाले 9 ठगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही जालसाजी कर अर्जित की गई संपत्ति को भी जब्त किया जायेगा। ACP विवेक रंजन ने बताया कि ठगों के मोबाइल फोन से मिले खाताधारकों की डिटेल कोर्ट को सौंपी गई है। वहीं, फरार राजेश, सुमन और प्रमोद समेत 11 लोगों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।