‘मन की बात’ में पीएम मोदी की अपील- आगे भी बरते सावधानी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए बातचीत की। इस दौरान PM मोदी ने लोगों से सावधानी जारी रखने और Corona के प्रति गंभीर रहने की अपील की। प्रधानमंत्री हर महीने के आखिरी रविवार को मन की बात के माध्यम से देश को संबोधित करते हैं। बीते साल मई में दोबारा सरकार बनने के बाद से प्रधानमंत्री का Mann Ki Baat का 12वां संस्करण है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमो एप और माइ जीओवी पर सुझाव मांगे थे।

इससे पहले हुए मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को 2 गज की दूरी बनाए रखने का संदेश दिया था। इसके साथ ही उन्होंने लोगों से घर पर ही रहने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि मैं आपसे आग्रह करूंगा कि हम कतई अति-आत्मविश्वास में न फंस जाएं, हमें कभी भी ऐसे विचार नहीं पालने चाहिए कि हमारे शहर में, गांव में या फिर हमारी गली में Corona आ ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि दुनिया का अनुभव हमें बहुत कुछ बता रहा है और हमारे यहां तो बारबार कहा जाता रहा है। सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी।

  • आपको, आपके परिवार को, Corona से अभी भी उतना ही गंभीर खतरा हो सकता है। हमें, हर इंसान की जिन्दगी को बचाना है, इसलिए, 2 गज की दूरी, चेहरे पर मास्क, हाथों को धोना, इन सब सावधानियों का वैसे ही पालन करते रहना है जैसे अभी तक करते आए हैं। मुझे पूरा विश्वास है, कि आप अपने लिए, अपनों के लिए, अपने देश के लिए, ये सावधानी जरूर रखेंगे।
  • हम सबको ये भी ध्यान रखना होगा कि इतनी कठिन तपस्या के बाद, इतनी कठिनाइयों के बाद, देश ने, जिस तरह हालात संभाला है, उसे बिगड़ने नहीं देना है हमें इस लड़ाई को कमजोर नहीं होने देना है हम लापरवाह हो जाएँ, सावधानी छोड़ दें, ये कोई विकल्प नहीं है कोरोना के खिलाफ लड़ाई अब भी उतनी ही गंभीर है।
  • हम बार-बार सुनते हैं जल है तो जीवन है – जल है तो कल है’, लेकिन, जल के साथ हमारी जिम्मेवारी भी है। वर्षा का पानी, बारिश का पानी – ये हमें बचाना है, एक-एक बूंद को बचाना है। गाँव-गाँव वर्षा के पानी को हम कैसे बचाएँ ? परंपरागत बहुत सरल उपाय हैं, उन सरल उपाय से भी हम पानी को रोक सकते हैं। दिन – सात दिन भी अगर पानी रुका रहेगा तो धरती माँ की प्यास बुझाएगा, पानी फिर जमीन में जायेगा, वह जल, जीवन की शक्ति बन जायेगा और इसलिए, इस वर्षा ऋतु में, हम सब का प्रयास रहना चाहिए कि हम पानी को बचाएँ, पानी को संरक्षित करें।
  • स्वच्छ पर्यावरण सीधे हमारे जीवन, हमारे बच्चों के भविष्य का विषय है. इसलिए, हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी इसकी चिंता करनी होगी। मेरा आपसे अनुरोध है कि इस ‘पर्यावरण दिवस’ पर, कुछ पेड़ अवश्य लगाएँ और प्रकृति की सेवा के लिए कुछ ऐसा संकल्प अवश्य लें जिससे प्रकृति के साथ आपका हर दिन का रिश्ता बना रहे कहाँ! गर्मी बढ़ रही है, इसलिए, पक्षियों के लिए पानी का इंतजाम करना मत भूलियेगा।
  • बहुत लोग कह रहे हैं, लिख रहे हैं, तस्वीरें साझा कर रहे हैं, कि, वह अपने घर से दूर-दूर पहाड़ियां देख पा रहे हैं, दूर-दूर जलती हुई रोशनी देख रहे हैं। इन तस्वीरों को देखकर, कई लोगों के मन में ये संकल्प उठा होगा क्या हम उन दृश्यों को ऐसे ही बनाए रख सकते हैं। इन तस्वीरों ने लोगों को प्रकृति के लिए कुछ करने की प्रेरणा भी दी है कि नदियां सदा स्वच्छ रहें, पशु-पक्षियों को भी खुलकर जीने का हक मिले, आसमान भी साफ-सुथरा हो, इसके लिए हम प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने की प्रेरणा ले सकते हैं।
  • आज कितने ही ऐसे पक्षी जो प्रदूषण और शोर-शराबे में ओझल हो गए थे, सालों बाद उनकी आवाज को लोग अपने घरों में सुन रहे हैं। अनेक जगहों से, जानवरों के उन्मुक्त विचरण की खबरें भी आ रही हैं। मेरी तरह आपने भी social media में जरूर इन बातों को देखा होगा, पढ़ा होगा।
  • कुछ दिन बाद ही 5 जून को पूरी दुनिया ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाएगी। ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर इस साल की theme है – Bio Diversity यानी जैव-विविधता. वर्तमान परिस्थितियों में यह theme विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। Lockdown के दौरान पिछले कुछ हफ़्तों में जीवन की रफ़्तार थोड़ी धीमी जरुर हुई है, लेकिन इससे हमें अपने आसपास, प्रकृति की समृद्ध विविधता को, जैवविविधता को, करीब से देखने का अवसर भी मिला है।
  • भारत सरकार हो, राज्य सरकार हो, कृषि विभाग हो, प्रशासन भी इस संकट के नुकसान से बचने के लिए, किसानों की मदद करने के लिए, आधुनिक संसाधनों का भी उपयोग कर रहा है। नए-नए आविष्कार की तरफ भी ध्यान दे रहा है, और मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर के हमारे कृषि क्षेत्र पर जो ये संकट आया है, उससे भी लोहा लेंगे, बहुत कुछ बचा लेंगे।


एक तरफ जहाँ पूर्वी भारत तूफान से आयी आपदा का सामना कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ, देश के कई हिस्से टिड्डियों या locust के हमले से प्रभावित हुए हैं। इन हमलों ने फिर हमें याद दिलाया है कि ये छोटा सा जीव कितना नुकसान करता है। टिड्डी दल का हमला कई दिनों तक चलता है, बहुत बड़े क्षेत्र पर इसका प्रभाव पड़ता है।


एक तरफ हम महामारी से लड़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ, हमें, हाल में पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में, प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ा है। पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान हमने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में Super Cyclone अम्फान का कहर देखा। तूफान से अनेकों घर तबाह हो गए।

किसानों को भी भारी नुकसान हुआ। हालात का जायजा लेने के लिए मैं पिछले हफ्ते ओडिशा और पश्चिम बंगाल गया था। पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोगों ने जिस हिम्मत और बहादुरी के साथ हालात का सामना किया है – वह प्रशंसनीय है। संकट की इस घड़ी में, देश भी, हर तरह से वहाँ के लोगों के साथ खड़ा है।


आप ये जानकर हैरान रह जायेंगे कि 1 करोड़ लाभार्थियों में से 80 प्रतिशत लाभार्थी देश के ग्रामीण इलाकों के हैं। इनमें भी करीब-करीब 50 प्रतिशत लाभार्थी, हमारी, माताएँ-बहने और बेटियाँ हैं। इन लाभार्थियों में ज्यादातर लोग ऐसी बीमारियों से पीड़ित थे जिनका इलाज सामान्य दवाओं से संभव नहीं था। इनमें से 70 प्रतिशत लोगों की Surgery की गई है। आप अनुमान लगा सकते हैं कि कितनी बड़ी तकलीफों से इन लोगों को मुक्ति मिली है।


आयुष्मान भारत’ योजना के साथ एक बहुत बड़ी विशेषता portability की सुविधा भी है। Portability ने, देश को, एकता के रंग में रंगने में भी मदद की है, यानी, बिहार का कोई गरीब अगर चाहे तो, उसे, कर्नाटक में भी यह सुविधा मिलेगी, जो उसे, अपने राज्य में मिलती। इसी तरह, महाराष्ट्र का कोई गरीब चाहे तो, उसे, इलाज की वह सुविधा, तमिलनाडु में मिलती। इस योजना के कारण, किसी क्षेत्र में, जहाँ, स्वास्थ्य की व्यवस्था कमजोर है, वहाँ के गरीब को, देश के किसी भी कोने में उत्तम इलाज कराने की सहूलियत मिलती है।


अगर, गरीबों को अस्पताल में भर्ती होने के बाद इलाज के लिए पैसे देने पड़ते, इनका मुफ्त इलाज नहीं हुआ होता, तो, उन्हें एक मोटा-मोटा अंदाज है, करीब-करीब 14 हजार करोड़ रूपए से भी ज्यादा, अपनी जेब से, खर्च करने पड़ते। ‘आयुष्मान भारत’ योजना ने गरीबों के पैसे खर्च होने से बचाए है। मैं, ‘आयुष्मान भारत के सभी लाभार्थियों के साथ-साथ मरीजों का उपचार करने वाले सभी डॉक्टरों, nurses और मेडिकल स्टाफ को भी बधाई देता हूँ।


हमारे देश में, करोडों-करोड़ गरीब, दशकों से, एक बहुत बड़ी चिंता में रहते आए हैं – अगर, बीमार पड़ गए तो क्या होगा ? अपना इलाज कराएं, या फिर, परिवार के लिए रोटी की चिंता करें। इस तकलीफ को समझते हुए, इस चिंता को दूर करने के लिए ही, करीब डेढ़ साल पहले ‘आयुष्मान भारत’ योजना शुरू की गई थी। कुछ ही दिन पहले, ‘आयुष्मान भारत’ के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ के पार हो गई है। एक करोड़ से ज्यादा मरीज, मतलब, देश के एक करोड़ से अधिक परिवारों की सेवा हुई है।


इसमें हिस्सा लेने के लिए आपको अपना तीन मिनट का एक वीडियो बना करके upload करना होगा. इस video में आप, जो योग, या आसन करते हों, वो करते हुए दिखाना है, और, योग से, आपके जीवन में जो बदलाव आया है, उसके बारे में भी बताना है। मेरा, आपसे अनुरोध है, आप सभी, इस प्रतियोगिता में अवश्य भाग लें, और इस नए तरीके से, अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस में, आप हिस्सेदार बनिए।


आपके जीवन में योग को बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने भी इस बार एक अनोखा प्रयोग किया है। आयुष मंत्रालय ने ‘My Life, My Yoga’ नाम से अंतर्राष्ट्रीय Video Blog उसकी प्रतियोगिता शुरू की है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लोग, इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं।


कोरोना संकट के इस समय में ‘योग’ – आज, इसलिए भी ज्यादा अहम है, क्योंकि, ये virus, हमारे respiratory system को सबसे अधिक प्रभावित करता है। ‘योग’ में तो Respiratory system को मजबूत करने वाले कई तरह के प्राणायाम हैं, जिनका असर हम लम्बे समय से देखते आ रहे हैं। ये time tested techniques हैं, जिसका, अपना अलग महत्व है। ‘कपालभाती’ और ‘अनुलोम-विलोम’, ‘प्राणायाम’ से अधिकतर लोग परिचित होंगे. लेकिन ‘भस्त्रिका’, ‘शीतली’, ‘भ्रामरी’ जैसे प्राणायाम के प्रकार हैं, इसके, अनेक लाभ भी हैं।


हर जगह लोगों ने ‘योग’ और उसके साथ-साथ आयुर्वेद के बारे में, और ज्यादा, जानना चाहा है, उसे, अपनाना चाहा है। कितने ही लोग, जिन्होंने, कभी योग नहीं किया, वे भी, या तो online योग class से जुड़ गए हैं या फिर online video के माध्यम से भी योग सीख रहे हैं। सही में, ‘योग’- community, immunity और unity सबके लिए अच्छा है।


कोरोना संकट के इस दौर में, मेरी, विश्व के अनेक नेताओं से बातचीत हुई है, लेकिन, मैं एक secret जरुर आज बताना चाहूंगा – विश्व के अनेक नेताओं की जब बातचीत होती है, तो मैंने देखा, इन दिनों, उनकी, बहुत ज्यादा दिलचस्पी ‘योग’ और ‘आयुर्वेद’ के सम्बन्ध में होती है। कुछ नेताओं ने मुझसे पूछा कि कोरोना के इस काल में, ये, ‘योग’ और ‘आयुर्वेद’ कैसे मदद कर सकते हैं!
बहुत से लोगों ने तो ये भी बताया है, कि, उन्होंने जो-जो सामान, उनके इलाके में बनाए जाते हैं, उनकी, एक पूरी लिस्ट बना ली है। ये लोग, अब, इन local products को ही खरीद रहे हैं, और Vocal for Local को promote भी कर रहे हैं। Make in India को बढ़ावा मिले, इसके लिए, सब कोई, अपना-अपना संकल्प जता रहा है।

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