BJP और JDU के बाद वाम दलों ने भी देर से ही सही, लेकिन इस ओर अपना कदम बढ़ाया जरूर है। दिलचस्प यह है कि एक तरफ वाम दलों के नेता विपक्ष के साथ मिल कर वर्चुअल रैली और चुनाव प्रचार का विरोध कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर वह खुद भी अब सोशल मीडिया के हर प्लेटफाॅर्म पर उतरने कि तैयार कर रहे है। वाम दलों के नेताओं का तर्क है कि यदि अक्तूबर-नवंबर में चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा कर ही दी तो सोशल मीडिया से कनेक्टिविटी नहीं रहने पर वह कही पीछे न रह जाएं। लिहाजा, वाम दलों ने इस ओर बढ़ते हुए ऑनलाइन मीटिंग और सभी जिलों के नेताओं-कार्यकर्ताओं को ट्वीटर या अन्य डिजिटल तरीके से जोड़ना शुरू कर दिया है।
वाम दलों ने चुनाव को लेकर प्रखंड, जिला स्तर पर वाटसएप ग्रुप बनाना शुरू किया है ताकि अधिक- से -अधिक लोगों को जोड़ा जा सके। साथ ही, इंटरनेट से लोगों को कैसे जोड़ा जाये। इसके लिए कार्यकर्ताओं को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जा रही है। कार्यकर्ताओं से यह भी कहा जा रहा है कि वे सोशल मीडिया पर एक्टिव होते पार्टी की नीतियों व सिद्धांत से युवाओं व आमलोगों को अवगत कराएं।
बिहार में भाकपा सचिव सत्यनारायण सिंह ने कहा कि हम वर्चअल रैली, चुनाव और चुनाव प्रचार के पक्ष में नहीं है, लेकिन हमलोगों के विरोध के बाद भी चुनाव हुआ, तो उससे पीछे नहीं हट सकते। हमने भी तैयारी शुरू कर दी है। वहीं भाकपा-माले के सचिव कुणाल ने कहा कि वर्चुअल रैली या प्रचार का हम विरोध करते हैं, लेकिन कोरोना काल में जिस तरह से चुनाव प्रचार की शुरुआत की गयी है। उसे देखते हुए हमने भी ऑनलाइन मीटिंग शुरू कर दी है।