Shardiya Navratri 2021: मां दुर्गा की आराधना के विशेष नौ दिनों यानी नवरात्रि का आरंभ 07 अक्टूबर से होने जा रहा है। मान्यता है कि इन 9 दिनों में जो भी भक्त मां (Goddess Durga) की सच्चे हृद्य और भक्तिभाव से आराधना करते हैं मां दुर्गा उनके सारे कष्ट हर लेती हैं और उन्हें सुख-शांति एवं समृद्धि प्राप्त होती है। नवरात्रि के नौ दिनों में माता के 9 अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है। शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri ) को मुख्य नवरात्रि माना जाता है।
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक यह त्यौहार हर साल शरद ऋतु में अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है। देशभर में नवरात्रि की धूम रहती है। खासतौर पर बंगाल और गुजरात में इसकी रौनक देखते ही बनती है। आइए हम जानते हैं कि आखिर क्या है नवरात्रि का पौराणिक इतिहास और महत्व।
नवरात्रि का महत्व
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह त्योहार साल में 2 बार मनाया जाता है। जिन्हें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri ) के नाम से जाना जाता है। हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र नवरात्रि से मानी जाती है, वहीं शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri ) धर्म की अधर्म पर और सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक मानी जाती है। धार्मिक मान्यता यह भी है कि साल में इन्हीं 9 दिनों में मां दुर्गा धरती पर अपने मायके आती हैं। ऐसे में इन नौ दिनों को दुर्गा उत्सव के तौर पर सेलिब्रेट किया जाता है। नवरात्रि का त्यौहार देशभर में 9 दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान श्रध्दालु पूरे 9 दिनों तक उपवास भी रखते हैं। पहले दिन कलश स्थापना होती है। वहीं पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के आखिरी 4 दिनों यानी षष्ठी से नवमी तक दुर्गा उत्सव मनाया जाता है। गुजरात में गरबा नृत्य काफी प्रसिद्ध है।
नवरात्रि की पौराणिक कथा नवरात्रि मनाए जाने को लेकर दो कथाएं प्रचलित हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम का एक राक्षस था जिसने ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर वरदान मांगा कि दुनिया में कोई भी देव, दानव या धरती पर रहने वाला कोई भी मनुष्य उसका वध न कर पाए। ब्रह्माजी से आशीर्वाद पाने के बाद महिषासुर आतंक मचाने लगा। उसके आतंक से त्रस्त होने के बाद शक्ति के रुप में मां दुर्गा का जन्म हुआ। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक घमासान युद्ध चला। 10वें दिन मां ने महिषासुर का वध कर दिया।
वहीं, एक अन्य कथा के मुताबिक, भगवान राम ने रावण की लंका पर आक्रमण से पहले मां भगवती की आराधना की। रामेश्वरम् में उन्होंने 9 दिनों तक माता का पूजन किया। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर मां ने उन्हें जीत का आशीर्वाद दिया। 10वें दिन राम जी ने रावण को हराकर लंका पर विजय प्राप्त की। इस दिन को विजयादशमी के तौर पर मनाया जाता है।