Navaratri

जानिए दुर्गा पूजा के सभी दिनों के शुभ मुहूर्त व तारीख

भारत में मनाए जाने वाले कई त्योहारों में से एक है दुर्गा पूजा का त्योहार। इस त्योहार में शक्ति रूपी मां भगवती की पूजा-अर्चना का विधान बताया गया है। यूं तो दुर्गा पूजा पूरे भारत में मनाया जाने वाला त्योहार है, लेकिन अगर आपको इस त्योहार का असली रंग और खूबसूरती देखनी हो तो वो आपको पश्चिम बंगाल में देखने को मिलेगी। पश्चिम बंगाल में इस पर्व की भव्यता देखने लायक होती है। गणेशोत्सव की तरह दुर्गा पूजा में भी भव्य पंडालों का आयोजन किया जाता है जिनमें Maa Durga की भव्य और खूबसूरत मूर्तियां बैठाई जाती हैं। लोग दूर-दूर से इन पंडालों के दर्शन करने के लिए आते हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार Durga Puja को मनाए जाने की तिथियां निर्धारित होती हैं। इसके अलावा इसपर्व से सम्बंधित पखवाड़े को देवी पक्ष, देवी पखवाड़ा के नाम से जाना जाता है।

दुर्गा पूजा से जुड़ी मान्यताएं
उत्तर भारत में Durga Puja के साथ ही विजयदशमी या दशहरा का पर्व भी मनाया जाता है। Durga Puja यूं तो दस दिनों तक चलने वाला त्योहार है लेकिन सही मायने में इस त्योहार की शुरुआत छठे दिन षष्ठी तिथि से होती है। यही वजह है जिसके चलते Durga Puja उत्सव में षष्ठी, महा-सप्तमी, महा-अष्टमी, महा-नवमी और विजयादशमी का विशेष महत्व माना जाता है। देशभर में Durga Puja पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर भी जाना जाता है।

दुर्गा पूजा उत्सव के पहले दिन को महालय के नाम से जाना जाता है। इस दिन पितरों का तर्पण करने का बेहद महत्व होता है। इस दिन से जुड़ी मान्यता के अनुसार महालय के दिन देवों और असुरों का भयंकर युद्ध हुआ था, जिसमें अनेकों ऋषि और देव मारे गए थे। ऐसे में महालय के दिन उनका ही तर्पण किया जाता है।

दुर्गा पूजा- पहला दिन – षष्ठी – कल्परम्भ- 21 अक्टूबर 2020 (बुधवार)
इस दिन प्रातः काल प्रारंभ की क्रिया किए जाने का विधान है। इस दिन घट-स्थापना की जाती है और फिर महासप्तमी, महाअष्टमी और महानवमी तीनों दिन मां दुर्गा की विधिवत पूजा-आराधना-व्रत आदि का संकल्प लिया जाता है।

कल्परम्भ मुहूर्त
अक्टूबर 21, 2020 को 09:09:26 से षष्ठी आरम्भ
अक्टूबर 22, 2020 को 07:41:23 पर षष्ठी समाप्त

दुर्गा पूजा – दूसरा दिन – सप्तमी – नवपत्रिका पूजन- 22 अक्टूबर (गुरुवार)
महासप्तमी को Durga Puja का पहला दिन माना जाता है। इसे कई जगहों पर कलाबाऊ पूजन के भी नाम से जाना जाता है। इस दिन नौ अलग-अलग तरह की पत्तियों (केला, कच्वी, हल्दी, अनार, अशोक, मनका, धान, बिल्वा और जौ) को मिलाकर उससे मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इन नौ पत्तियों को देवी के अलग-अलग नौ रूप माने जाते हैं।

नवपत्रिका पूजन मुहूर्त
अक्टूबर 22, 2020 को 07:41:23 से सप्तमी आरम्भ
अक्टूबर 23, 2020 को 06:58:53 पर सप्तमी समाप्त

दुर्गा पूजा – तीसरा दिन – अष्टमी – दुर्गा महा अष्टमी पूजा- 23 अक्टूबर (शुक्रवार)
नवपत्रिका पूजन के अगले दिन महाष्टमी मनाई जाती है। महा-अष्टमी के दिन महा-सप्तमी का ही विधान किया जाता है। लेकिन, इस दिन प्राण-प्रतिष्ठा नहीं की जाती है। इस दिन मां दुर्गा का षोडशोपचार पूजन किया जाता है। मिट्टी के 9 कलश रखे जाते हैं और फिर देवी मां के सभी रूपों का ध्यान करते हुए उनका आह्वान किया जाता है।

दुर्गा महा-अष्टमी पूजन मुहूर्त
अक्टूबर 23, 2020 को 06:58:53 से अष्टमी आरम्भ
अक्टूबर 24, 2020 को 07:01:02 पर अष्टमी समाप्त

दुर्गा पूजा – तीसरा दिन – नवमी – दुर्गा महा नवमी पूजा – 24 अक्टूबर 2020 (शनिवार)
दुर्गा पूजा का अंतिम दिन दुर्गा महा-नवमी पूजा के नाम से जाना जाता है। इस दिन पहले महास्नान होता है और फिर षोडशोपचार पूजन किया जाता है। कहा जाता है कि यह वही दिन है जिस दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। ऐसे में इस दिन महानवमी पूजा, नवमी हवन और दुर्गा बलिदान आदि आयोजन किए जाते।

दुर्गा महा-नवमी पूजन मुहूर्त
अक्टूबर 24, 2020 को 07:01:02 से नवमी आरम्भ
अक्टूबर 25, 2020 को 07:44:04 पर नवमी समाप्त

दुर्गा पूजा – चौथा दिन – दशमी – दशहरा – 25 अक्टूबर 2020 (रविवार)
अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध कर के माता सीता को उसके चंगुल से छुड़ाया था। इसके अलावा माना जाता है कि यह दिन माता विजया से भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में कई जगहों पर इसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है।

दशहरा शुभ मुहूर्त
विजय मुहूर्त :13:57:06 से 14:41:57 तक
अवधि :0 घंटे 44 मिनट अपराह्न
मुहूर्त :13:12:15 से 15:26:48 तक

दुर्गा पूजा – पांचवा दिन – दुर्गा विसर्जन – 26 अक्टूबर (सोमवार)
दुर्गा विसर्जन से दुर्गा उत्सव का समापन हो जाता है। बता दें कि दुर्गा विसर्जन का मुहूर्त प्रात:काल या अपराह्न काल में विजयादशमी तिथि लगने पर शुरू होता है। बहुत से लोग इस दिन नवरात्रि के व्रत का समापन करते हैं। इस दिन माता दुर्गा की मूर्तियों को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है। पश्चिम बंगाल में इस दिन सिन्दूर उत्सव की परंपरा निभाई जाती है। इस दौरान महिलाएं एक-दूसरे पर सिन्दूर लगाती हैं।

दुर्गा विसर्जन मुहूर्त
दुर्गा विसर्जन समय :06:29:16 से 08:43:31 तक
अवधि: 2 घंटे 14 मिनट

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1