रक्षा बंधन का पर्व पंचांग के अनुसार तीन अगस्त को मनाया जाएगा। रक्षा बंधन का पर्व भाई बहनों का पवित्र पर्व है। इस दिन को भाई बहन के प्रेम के उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। रक्षा बंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को रक्षा का वचन देते हैं। इस दिन बहनें राखी बांधकर भाई के लिए दीर्घायु सुख और समृद्धि कामना करती हैं।
रक्षा बंधन की तैयारियां आरंभ हो चुकी हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण और लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए बड़ी संख्या में भाई बहनों ने एक दूसरों को उपहार देने के लिए ऑनलाइन शॉपिंग भी पूरी कर ली है। कोरियर से राखियों को भेजने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है।
रक्षा बंधन के दिन बहने जब अपने भाईयों की कलाई पर राखा बांधे तो रक्षा सूत्र का पाठ जरूर करें। ऐसा करना शुभ माना गया है। इस रक्षा सूत्र का वर्णन महाभारत में भी आता है। ये है रक्षा सूत्र-
ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
पूजा विधि- रक्षा बंधन के दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा की थाल सजाएं। थाल में राखी के साथ रोली, चंदन, अक्षत, मिष्ठान और पुष्प रखें। घी का दीपक जलाएं। पूजा स्थान पर इस थाल को रखकर सभी देवी देवताओं का स्मरण करते हुए पूजा करें। धूप जलाएं। भगवान का आर्शीवाद लें। इसके बाद भाई की कलाई में राखी बांधें।
तीन अगस्त, राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
वैसे तो 9 बजकर 28 मिनट के बाद से ही पूरे दिन ही राखी बांधने का शुभ समय है। लेकिन विशिष्ट मुहूर्त में राखी बांधना ज्यादा शुभ फलदायी माना जाता है। सुबह 11 बजकर 26 मिनट से 13 बजकर 45 मिनट तक (तुला लग्न,चर लग्न) दोपहर 13 बजकर 45 मिनट से 16 बजकर 03 मिनट तक ( वृश्चिक लग्न,स्थिर लग्न) अभिजित मुहूर्त (11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक )।