केरल के सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश होने के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज आपना फैसला सुनाएगा। आपको बता दें पिछले साल 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के मंदिर में जाने पर प्रतिबंध को हटाने का फैसला दिया था। जिसके बाद केरल में व्यापक स्तर पर लोगों ने बवाल किया था और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध किया था। इस मामले में कोर्ट से धार्मिक परंपराओं का सम्मान करने की मांग संबंधी 65 याचिकाएं दायर की गई थीं। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने अंतिम सुनावाई के बाद इस साल 6 फरवरी को फैसला सुरक्षित रखा था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मंदिर में जाने से किसी भी महिला को नहीं रोका जा सकता, बेंच की इकलौती महिला सदस्य जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने बहुमत के फैसले का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि धार्मिक मान्यताओं में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए. हिंदू परंपरा में हर मंदिर के अपने नियम होते हैं।
आपको बता दें तिरुअनंतपुरम से करीब 100 किलोमीटर दूर सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा होती है। धार्मिक मान्यता की माने तो भगवान अयप्पा को नैसिक ब्रह्मचारी माना जाता है। इसलिए, सदियों से सबरीमाला मंदिर में युवा महिलाओं के नहीं जाने की परंपरा रही है। साथ ही मंदिर की यात्रा से पहले 41 दिन तक पूरी शुद्धता बनाए रखने का नियम भी है।