दिल्ली में कोरोना संकट बढ़ता ही जा रहा है। तबलीगी जमात के कारण संकट में फंसी दिल्ली के सामने अब एक नहीं चुनौती सामने आकर खड़ी है। कापसहेड़ा एक ऐसा इलाका है जहां कभी भी कोरोना विस्फोट हो सकता है। अब तक वहां से 58 केस सामने आ चुके हैं।
इस तंग गली की कहानी बता रहे हैं मदन प्रजापति, जो की 3 महीने पहले ही UP के महाराजगंज से काम की तलाश में दिल्ली आये थे और कापसहेड़ा इलाके में 3 हजार रुपये महीने के आठ बाई दस फुट के छोटे से किराए के कमरे में रहते हैं जहां 41 प्रवासी मजदूर कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गए थे।
लॉकडाउन के बाद से वह यहां बिना काम के रहने को मजबूर हैं। यहां करीब ऐसी 50 इमारतों में इतने ही बड़े कमरों में सैकड़ों प्रवासी मजदूर रहते हैं जो गुड़गांव के उद्योग विहार की कंपनियों में काम करते हैं।
प्रजापति के मुताबिक ज्यादातर परिवार ऐसे हैं जो लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे हैं ताकि या तो काम पर लौट सकें या फिर अपने घर को निकल जाएं। उन्होंने पूछा, क्या आप बता सकते हैं कि UP तक बस सेवा कब शुरू होगी? उन्होंने यह डर भी जताया कि यहां रहने वाले और भी लोगों को यह संक्रमण हो सकता है।
प्रजापति ने कहा, ऐसी तंग इमारत में सामाजिक दूरी के नियम का पालन करना मुश्किल है। यहां इतने सारे परिवार रहते हैं, सामूहिक शौचालय हैं, ऐसे में किसी भी एक को संक्रमण हुआ तो यह फैलेगा ही फैलेगा।
ठेके वाली गली में एक इमारत में 18 अप्रैल से 41 लोग संक्रमित पाए गए हैं जिनमें से अधिकतर प्रवासी श्रमिक हैं। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उस दो मंजिला इमारत में 60 कमरे हैं जिनमें 160 लोग रहते हैं।
किसी-किसी कमरे में तो पांच-पांच लोग रहते हैं और बड़ी संख्या में लोगों के बीच साझा शौचालय हैं। इलाके में आबादी के घनत्व को देखते हुए उस इमारत को सील कर दिया गया है। इमारत के अन्य रहवासियों के नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं।
कानून-व्यवस्था कायम करने के अतिरिक्त पुलिसकर्मी यहां लोगों की जरूरतें भी पूरी कर रहे हैं। एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है जिसमें निषिद्ध इलाके के लोग कापसहेड़ा के SHO तथा जिले के अधिकारियों के साथ अपनी परेशानियां साझा कर सकते हैं।