Joshimath Tragedy: जोशीमठ (Joshimath) में भू-धंसाव के कारण मचे हाहाकार के बीच राज्य सरकार द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट आ गई है। इसमें कहा गया है कि रहवासियों को तत्काल प्रभाव से विस्थापित किया जाए। क्षतिग्रस्त घरों को ढहाया जाए और मलबा हटाया जाए। कमेटी ने कई बिंदुओं को लेकर जांच की है। उसने सरकार को बताया है कि जेपी कॉलोनी से मारवाड़ी ब्रिन तक सैंपल इकट्ठे किए गए। क्योंकि, पानी का बहाव यहीं तक था। इसी पानी की वजह से जमीन के अंदर खाली जगह बनी और धंसाव हुआ। इन सबसे के कारण दरारें पड़ीं। ये दरारें एक मीटर तक गहरी हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जमीन अब कुछ जगह समतल नहीं रह गई है। इसकी वजह से दीवारों और भवनों की नींव कमजोर हो गई है। नींव कमजोर होने की वजह से घरों और मैदानों में दरारें दिखाई दे रही हैं। सरकारी एजेंसी ने अभी तक पानी का सैंपल नहीं लिया है। इस सैंपल को फिलहाल जांच के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट बताती है कि, भू-धंसाव के लिए सर्वे किया गया. इसके मुताबिक, अगस्त 2022 की तुलना में नया और ज्यादा नुकसान सुनील, मनोहरबाग, सिंहधार और मड़वाड़ी में हुआ है। सर्वे टीम ने रविग्राम, गांधीनगर, एनटीपीसी और एटी नाला और अन्य कुछ जगहों पर दौरा किया। यहां पाया गया कि अगस्त 2022 से मुकाबले यहां ज्यादा दरारें नहीं पड़ी हैं।
एनटीपीसी हाइड्रो प्रोजेक्ट का भी दौरा
जिला-प्रशासन ने विष्णुगाड एनटीपीसी हाइड्रो प्रोजेक्ट का भी दौरा कर सर्वे किया। अधिकारी यह समझना चाहते थे कि क्या दरारों के पीछे टनल की भी कोई भूमिका है। अधिकारियों ने एनटीपीसी की टीम से भी इस मामले में बात की. जिला प्रशासन ने अलकनन्दा नदी के कटाव का भी निरीक्षण किया। ये तय किया गया है कि विष्णुप्रयाग और माड़वाड़ी के बीच एक अर्ध चंद्रकार दीवार बनाई जाएगी। यह दीवार दाईं तरफ से शुरू होकर रविग्राम से होते हुए एटी नाला से बाईं तरफ सिंघधार, माड़वाड़ी तक जाएगी।
ज्यादा नुकसान वाले घर ढहाए जाएं
सर्वे में पाया गया कि अगस्त 2022 की रिपोर्ट को लागू किया जाना चाहिए। जिन घरों में बहुत ज्यादा नुकसान है, उनको ध्वस्त कर उसके मलबे को हटाया जाना चाहिए। जिन इलाकों में लोगों का रहना मुमकिन नहीं, उन जगहों को चिन्हित करना चाहिए। जो लोग खतरे की जद पर बैठे हैं, उन्हें तत्काल वहां से विस्थापित करना चाहिए। इलाके में मिट्टी की जांच कराई जानी चाहिए। साथ ही जियो फिसिकल जांच भी होनी चाहिए। भूकम्प की भविष्यवाणी के लिए भी तैयारी करनी चाहिए। पानी को उद्गम से लेकर नीचे के बहाव तक जांचा जाना चाहिए। स्लोप मूवमेंट की रियल टाइम जांच होनी चाहिए।