दिल्ली पुलिस ने कहा है कि JNU में छात्रों और शिक्षकों पर हमला करने वाले नकाबपोशों की 40% पहचान मैच हो गई है। पुलिस ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी, जो फेशियल रिकग्निशन सॉफ्टवेयर (चेहरे की पहचान करने वाले सॉफ्टवेयर) पर आधारित है, जिसका इस्तेमाल रविवार की हिंसा के दोषियों की पहचान करने के लिए किया गया था।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि JNU में हिंसा की जांच के लिए बनी SIT को पहचान के मैच सौंप दिए गए हैं। हाल ही में हासिल की गई फेशियल रिकग्निशन सिस्टम का उपयोग मुख्य रूप से लापता बच्चों और अज्ञात शवों को ट्रैक और ट्रेस करने के लिए किया जाता है।
बीते 5 जनवरी को छात्रों और शिक्षकों के बीच एक बैठक के दौरान लाठी, डंडे और हथौड़ों से लैस नकाबपोशों ने JNU परिसर में प्रवेश किया और लोगों को बुरी तरह से पीटा। उन्होंने छात्रों के हॉस्टलों में तोड़फोड़ भी की। इस घटना में जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) की अध्यक्ष आईशी घोष सहित 30 से अधिक छात्र घायल हो गए।
टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के अलावा, दिल्ली पुलिस छात्रों की शिकायतों पर भी भरोसा कर रही है। एक दूसरे वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पुलिस को छात्रों की लगभग 40 शिकायतें मिली हैं, जिनमें से कई ने हिंसा में शामिल लोगों की पहचान की है। आईशी घोष ने भी एक शिकायत दर्ज की है जिसमें उन्होंने कहा है कि जब हमें (मुझे, निखिल, अंजना बसिथ) को अस्पताल ले जाया जा रहा था, तो एम्बुलेंस को JNU परिसर के उत्तरी गेट से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी गई थी, जो पूरी तरह से रोक दिया गया था। वहां उपस्थित लोगों में थाना वसंत कुंज नॉर्थ के SHO रितु राज के सहित 30-40 पुलिस वाले भी थे और ABVP से जुड़े कई गुंडे और व्यक्ति थे, जिनमें से मैंने ओंकार श्रीवास्तव को पहचान लिया है।
पूरे देश में इस हिंसा की व्यापक निंदा की गई। छात्रों, नागरिक समाज के सदस्यों और अभिनेताओं ने भी समर्थन किया और हिंसा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। दिल्ली पुलिस भी कैम्पस में पुलिस की मौजूदगी के बावजूद JNU में तोड़फोड़ करने वालों को वहां घुसने देने के लिए आलोचनाओं के घेरे में आ गई। हालांकि, सरकार ने उस रात की घटना के बाद में एक उच्च-स्तरीय जांच टीम का गठन कर दिया है।