परिसीमन पूरा होने के बाद जम्मू-कश्मीर में चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव कराने की तैयारियां शुरू कर दी हैं. चुनाव आयोग के उच्च सूत्रों के मुताबिक परिसीमन आयोग से जुड़े अधिकारियों के साथ चुनाव आयोग ने एक बैठक की थी जिसमें जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी भी मौजूद थे. इस बैठक में चुनाव आयोग ने परिसीमन की पूरी जानकारी ली और परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए जो आवश्यकताएं है इन पर चर्चा हुई. जल्द ही आधिकारिक तौर पर भी जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी को जरूरी कार्य की शुरुआत के लिए पत्र लिखा जाएगा.
अब सवाल उठता है कि जम्मू-कश्मीर में कब चुनाव होंगे. अगर चुनाव आयोग की तैयारी सितंबर तक पूरी हो जाती है तो प्रदेश में अक्टूबर-नवंबर तक चुनाव संभव होगा. अगर ऐसा होता है तो जम्मू-कश्मीर में चुनाव गुजरात और हिमाचल प्रदेश के साथ भी हो सकता है. लेकिन अगर सितंबर तक चुनाव की तैयारी नहीं हुई तो फिर जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में अगले साल फरवरी महीने के बाद चुनाव होंगे. दरअसल ठंड के मौसम में बर्फबारी की वजह से जम्मू-कश्मीर में दिसंबर, जनवरी और फरवरी महीने में चुनाव कराना असंभव है, इसीलिए अगर अक्टूबर, नवंबर में चुनाव नहीं होता है तो फिर फरवरी महीने के बाद चुनाव कराया जाएगा यानी मार्च महीने या इसके बाद.
कब हो सकते हैं चुनाव?
दरअसल जम्मू-कश्मीर में परिसीमन होने की वजह से चुनाव आयोग का काम बढ़ गया है. चुनाव आयोग को विधानसभा सीटों के नए परिसीमन के मुताबिक विधानसभा क्षेत्रों को तैयार करना है. इसके तहत विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से पोलिंग स्टेशन की पहचान से लेकर इनके अधिकारियों का निर्धारण करना, इसके अलावा परिसीमन के बाद बदली परिस्थिति में मतदाता सूची को विधानसभा क्षेत्र के हिसाब से तैयार करना और फिर मतदाता सूची की समीक्षा करना ताकि नए मतदाताओं को जोड़ा जा सके और जिन मतदाताओं के नाम हटाने हैं उन्हें हटाया जा सके. सभी जरूरी कार्य को पूरा करने के लिए चुनाव आयोग के सामने 6 महीने का वक्त है.
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के बाद सीटों की स्थिति क्या है?
दरअसल हाल ही में 26 महीने की कवायद के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा सीटों का परिसीमन किया गया है. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं और पहली बार 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई हैं. इसके अलावा पहली बार जम्मू-कश्मीर की सभी 5 लोकसभा सीटों में बराबर-बराबर यानी 18-18 विधानसभा सीटों को रखा गया है. यानी एक लोकसभा क्षेत्र की सीमा में 18 विधानसभा सीटें होंगी. जम्मू क्षेत्र में 43 और कश्मीर क्षेत्र में 47 सीटें हैं. किसी भी एक विधानसभा क्षेत्र की सीमा को एक से अधिक जिले में नहीं रखा गया है.
सीटों में बड़े बदलाव
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद नए कानून के मुताबिक जम्मू-कश्मीर राज्य में कुल विधानसभा सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 कर दी गई है, लेकिन 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हैं इसलिए 90 सीटों पर ही परिसीमन किया गया है. जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों में एक सीट का नाम माता वैष्णो देवी के नाम पर रखा गया है.