भारत-रूस ने एक बार फिर चीन को चुनौती देने की तैयारियों में जुट गया है। समुद्री सुरक्षा के लिए भारत-रूस ने एक नई योजना बनाई है जिसका नाम है। ‘इंडो पैसिफिक मैरीटाइम रूट’ दोनों देशों ने हाल ही में इस पर सहमति जताई है, जो रूस के सुदूर पूर्व के बंदरगाह शहर व्लादिवोस्तोक से चेन्नई तक विस्तृत होगा। इस व्यापारिक समुद्री मार्ग का कुछ हिस्सा दक्षिण चीन सागर से होकर भी गुजरेगा। इस रूप में यह माना जा रहा है कि भारत दक्षिण चीन सागर में चीन के प्रभाव को चुनौती दे रहा है जिसमें उसका साथ रूस देगा।
एक्ट ईस्ट पॉलिसी
जानकारी के मुताबिक इस नए समुद्री मार्ग प्रोजेक्ट के तहत भारत-रूस अपने सहयोग का विस्तार सैन्य और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में भी कर सकते हैं। दोनों देश सैन्य उपकरणों का संयुक्त विकास और उत्पादन भी कर सकते हैं। भारत के इन सभी कार्यों का प्रभाव ये हुआ है कि चीन के विवादित सर्वे पोत ने हाल ही में वियतनाम के वैंगार्ड बैंक से खुद को बाहर कर लिया है। भारत का कहना है कि यह प्रस्तावित समुद्री मार्ग भारत के एक्ट ईस्ट पॉलिसी के बिल्कुल अनुकूल है जिसे दक्षिण एशियाई राष्ट्रों के दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूती देने के लिए निर्मित किया गया है।