इंडियन एयरफोर्स दिनों दिन नई ऊचाइयों को छू रहा है। भारतीय वायुसेना के विमान AN-32 ने पहली बार दोनों इंजनों यानी जैव ईंधन यानी बायो जेट फ्यूल के जरिए लेह के कुशोक बाकुला रिंपोची हवाई अड्डे लिए उड़ान भरी। ये पहला मौका है जब किसी विमान के दोनों इंजनों में 10 प्रतिशत भारतीय बायो जेट फ्यूल के मिश्रण का इस्तेमाल किया गया। इस परीक्षण को एयरक्राफ्ट एंड सिस्टम टेस्टिंग स्टैबलिशमेंट, बेंगलुरु के टेस्ट पायलट्स की टीम और ऑपरेशनल स्क्वाड्रन के पायलट्स ने मिलकर किया है। लेह में इस ऑपरेशनल उड़ान से पहले चंडीगढ़ एयर बेस पर विमान का परीक्षण किया गया था। आपको बता दें लेह समुद्र तल से 10,682 फीट की ऊंचाई पर है,और ये दुनिया के सबसे ऊंचे और सबसे कठिन हवाई क्षेत्रों में से एक है। यहां मौसम हमेशा से ही विषम रहता है। जिससे विमान के इंजन पर दबाव काफी बढ़ जाता है। ऐसे में बायो जेट फ्यूल के प्रदर्शन का मूल्यांकन परिचालन की दृष्टि से और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।
बायो जेट फ्यूल का उत्पादन करने की तकनीक साल 2013 में CSIR-IIP ने विकसित की थी। लेकिन उस वक्त देश में परीक्षण सुविधाओं की कमी की वजह से कमर्शियल उपयोग के लिए इसका परीक्षण नहीं किया जा सका था।