साइन हुआ दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार करार, भारत ने बनाई दूरी

चीन सहित एशिया-प्रशांत के 15 देशों ने रविवार को दुनिया के सबसे बड़े व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। इन देशों के बीच क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी (RCEP) करार हुआ है। इस समझौते में भारत शामिल नहीं है। इन देशों ने उम्मीद जताई कि इस समझौते से COVID-19 महामारी के झटकों से उबरने में मदद मिलेगी। RCEP पर 10 देशों के दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के समापन के बाद रविवार को वर्चुअल तरीके से हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता करीब 8 साल तक चली वार्ताओं के बाद पूरा हुआ है। भारत इससे दूर है।

चीन और 14 अन्य देशों ने विश्व के सबसे बड़े व्यापारिक गुट के गठन पर सहमति जताई है, जिसके दायरे में करीब एक-तिहाई आर्थिक गतिविधियां आएंगी। एशिया में कई देशों को उम्मीद है कि इस समझौते से कोरोना वायरस महामारी की मार से तेजी से उबरने में मदद मिलेगी।

क्षेत्रीय समग्र आर्थिक भागीदारी (RCEP) पर 10 देशों के दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियन) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के इतर रविवार को वर्चुअल तरीके से हस्ताक्षर किए गए। मेजबान देश वियतनाम के PM गुयेन जुआन फुक ने कहा, ‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आठ साल की कड़ी मेहनत के बाद हम आधिकारिक तौर पर आरसीईपी वार्ताओं को हस्ताक्षर तक लेकर आ पाए हैं।’

फुक ने कहा, ‘RCEP वार्ताओं के पूरा होने के बाद इस बारे में मजबूत संदेश जाएगा कि बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को समर्थन देने में आसियान की प्रमुख भूमिका रहेगी। यह दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार समझौता है। इससे क्षेत्र में एक नया व्यापार ढांचा बनेगा, व्यापार सुगम हो सकेगा और COVID-19 से प्रभावित आपूर्ति श्रृंखला को फिर से खड़ा किया जा सकेगा।’ इस करार से सदस्य देशों के बीच व्यापार पर शुल्क और नीचे आएगा। यह पहले ही काफी निचले स्तर पर है। इस समझौते में आसियान के 10 देशों के अलावा चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। अमेरिका इस समझौते में शामिल नहीं है।

अक्टूबर में GST कलेक्शन आठ महीने के बाद 1 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार किया है इससे पहले फरवरी में GST कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपये हुआ था। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में GST कलेक्शन 1.05 लाख करोड़ रुपये रहा यह पिछले साल अक्टूबर की तुलना में 10.25% अधिक है। इस वित्त वर्ष में इसने पहली बार एक लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया है। इससे पहले फरवरी- 2020 में GST कलेक्शन 1,05,366 करोड़ रुपये रहा था।

देश में बिजली की खपत में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में बिजली की खपत 110.94 अरब यूनिट रही। पिछले साल के अक्टूबर की तुलना में 13.38% अधिक है। पिछले साल अक्टूबर में यह आंकड़ा 97.84 अरब यूनिट था। इसकी बड़ी वजह औद्योगिक एवं वाणिज्यिक गतिविधियों की ओर से बिजली की मांग बढ़ना है।

कोरोना संकट के बीच अब लोग खर्च कर रहे हैं, लगातार ऑटो कंपनियां बेहतर नतीजे पेश कर रही हैं। अक्टूबर में वाहनों की बिक्री में भारी इजाफा हुआ है। खासकर पैसेंजर गाड़ियों की मांग में काफी तेजी देखी जा रही है। सोशल डिस्टेंसिंग के कारण लोग निजी वाहनों को तरजीह दे रहे हैं। देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी ने अक्टूबर में कुल 1,82,448 वाहन बेचे, जो पिछले साल के अक्टूबर के मुकाबले 19% और पिछले महीने के मुकाबले करीब 20% ज्यादा है। वहीं दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी हुंडई मोटर्स ने अक्टूबर-2020 में कुल 68,835 गाड़ियां बेचीं, जबकि अक्टूबर- 2019 में कंपनी ने कुल 63,610 यूनिट्स की बिक्री की थी। हुंडई और हीरो मोटो ने अक्टूबर में डीलरों को रेकॉर्ड गाड़ियां बेचीं।

IHS मार्किट के हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक अक्टूबर में देश की विनिर्माण गतिविधियों में अक्टूबर, 2007 के बाद सबसे तेज गति से वृद्धि देखने को मिली। IHS मार्किट के मुताबिक अक्टूबर में भारत का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 58.9 पर पहुंच गया, जो इससे पिछले महीने यानी सितंबर में 56.8 पर रहा था।

अक्टूबर महीने में सर्विस PMI 54.1 रही है। सितंबर में यह 49.8 रही थी। इस तरह भारतीय सेवा क्षेत्र का कारोबारी गतिविधि सूचकांक फरवरी के बाद से पहली बार 50.0 के अपरिवर्तन स्तर से ऊपर गया है। IHS मार्किट इंडिया सर्विसेज PMI के अनुसार, PMI का 50 के स्तर से ऊपर रहना विस्तार को दर्शाता है। वहीं, 50 से नीचे संकुचन को दर्शाता है।

देश में पेट्रोल और डीजल की मांग कोविड से पहले के स्तर पर पहुंच गई है और अक्टूबर में इन उत्पादों की बिक्री 6.6% का इजाफा हुआ। उद्योग के शुरुआती आंकड़ों के अनुसार COVID-19 महामारी की रोकथाम के लिए मार्च के अंत में लॉकडाउन लगाए जाने के बाद से यह डीजल की बिक्री में पहली वार्षिक बढ़ोतरी है। इसी तरह सार्वजनिक परिवहन की जगह निजी गाड़ियों के इस्तेमाल को तरजीह देने के चलते पेट्रोल की मांग डीजल की अपेक्षा अधिक रही, लेकिन अक्टूबर के बिक्री आंकड़े अप्रत्याशित रूप से उम्मीद से बेहतर हैं। उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक त्योहारी मौसम के शुरू होते ही डीजल की मांग सामान्य स्तर पर आ गई। आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में डीजल की बिक्री बढ़कर 61.7 लाख टन हो गई, जो एक साल पहले अक्टूबर में 57.9 लाख टन थी।

अधिकारियों ने कहा कि इस समझौते में भारत के फिर से शामिल होने की संभावनाओं को खुला रखा गया है। समझौते के तहत अपने बाजार को खोलने की अनिवार्यता के कारण घरेलू स्तर पर विरोध की वजह से भारत इससे बाहर निकल गया था। जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने कहा कि उनकी सरकार समझौते में भविष्य में भारत की वापसी की संभावना समेत स्वतंत्र एवं निष्पक्ष आर्थिक क्षेत्र के विस्तार को समर्थन देती है और उन्हें इसमें अन्य देशों से भी समर्थन मिलने की उम्मीद है। मलेशिया के अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं उद्योग मंत्री मोहम्मद आजमीन अली ने कहा, ‘यह समझौता संकेत देता है कि आरसीईपी देशों ने इस ‘मुश्किल समय में संरक्षणवादी कदम उठाने के बजाय अपने बाजारों को खोलने’ का फैसला किया है।

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