भारत (India) चीन को एक और बड़ा झटका देने की तैयारी कर रहा है। सुरक्षा कारणों के चलते सरकार चीन (China) की कंपनी हुवावे (Huawei) को बैन करने का मन बना चुकी है और जून तक इसका ऐलान भी किया जा सकता है। दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बताया कि हुवावे द्वारा बनाए गए दूरसंचार उपकरणों के उपयोग से भारतीय मोबाइल कंपनियों को रोका जाएगा। यदि ऐसा होता है, तो चीन को आर्थिक मोर्चे पर भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। क्योंकि लद्दाख (Ladakh) हिंसा के बाद से भारत उसके खिलाफ पहले ही कई कड़े कदम उठा चुका है।
अधिकारियों ने बताया कि सरकार सुरक्षा आशंका और भारतीय निर्माताओं की अधिक दूरसंचार उपकरण (Telecoms Equipment) बनाने की इच्छा को ध्यान में रखते हुए चीनी कंपनी को बैन करने के मूड में है। दूरसंचार विभाग के दो अधिकारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि 15 जून के बाद मोबाइल कैरियर कंपनी केवल सरकार द्वारा अनुमोदित कंपनियों से ही कुछ तय उपकरण खरीद सकेंगी। इतना ही नहीं सरकार उन कंपनियों की भी लिस्ट जारी कर सकती है, जिनसे उपकरण नहीं खरीदने हैं। हुवावे को भी इस सूची में शामिल करने की संभावना है।
अधिकारियों के मुताबिक, सरकार का मानना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा करने वाले निवेश पर पाबंदी लगनी चाहिए और इसी के मद्देनजर चीनी कंपनियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की तैयारी चल रही है। वहीं, एक अन्य अधिकारी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि चीनी कंपनी ZTE कॉर्प (ZTE Corp) को भी बैन किया जा सकता है। हालांकि इसकी भारत में उपस्थिति कम है। दोनों कंपनियों पर चीनी सरकार के लिए जासूसी करने के आरोप लग चुके हैं।
भारती एयरटेल (Bharti Airtel) और वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) हुवावे गियर का उपयोग करती हैं। वहीं, विश्लेषकों का कहना है कि हुवावे गियर पर प्रतिबंध से लागत बढ़ने की आशंका बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि चीनी फर्म के उपकरण और नेटवर्क रखरखाव अनुबंध आमतौर पर एरिक्सन और नोकिया (Ericsson and Nokia) जैसे यूरोपीय प्रतियोगियों की तुलना में सस्ते हैं। एक वरिष्ठ सरकारी ने कहा, ‘हमने चीन से भी निवेश प्रस्तावों को कुछ मंजूरी देनी शुरू कर दी है, लेकिन हम टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर और फाइनेंशियल जैसे क्षेत्रों में कोई मंजूरी नहीं देंगे’। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार 100 से अधिक चीनी मोबाइल ऐप पर पिछले साल के प्रतिबंध को हटाने या चीनी कंपनियों को एयर इंडिया और भारत पेट्रोलियम जैसी राज्य-संचालित फर्मों में काम करने की अनुमति देने के मूड में बिल्कुल नहीं है।