LAC SECURITY BY BSF

बाज नहीं आया चीन, LAC पर तैनात किए 50 हजार से अधिक जवान, ड्रोन से ले रहा टोह, भारतीय सेना रख रही पैनी नजर

INDO-CHINA RELATIONS:लद्दाख सेक्टर में तैनात भारतीय सुरक्षा बल आस-पास के इलाकों में चीन के मानवरहित एरियल व्हीकल (UAV) या ड्रोन की गतिविधियों पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। इन इलाकों में अक्सर भारतीय सीमा के पास चीन के ड्रोन देखे गए हैं। ये गतिविधियां मुख्य रूप से दोनों पक्षों के बीच विवाद के बिंदु रहे हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा हाइट्स के साथ दौलतबेग ओल्डी सेक्टर इलाकों में भी देखी गई हैं। बता दें कि दौलतबेग ओल्डी सेक्टर में चीन ने साल 2012-13 से अपनी गतिविधियां तेज की हैं।

भारतीय सुरक्षा बल चीन की ओर से हो रही इन ड्रोन गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अपने उपकरणों और तकनीकियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार एक सरकारी सूत्र ने बताया कि लद्दाख में साफ आसमान और ऊंची पहाड़ियां, जहां हमारे सैनिक तैनात हैं, इन छोटी उड़ने वाली मशीनों पर नजर रखने में हमारी मदद कर रहे हैं। भारत और चीन के बीच पिछले साल अप्रैल-मई में सैन्य तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी और कुछ हिंसक झड़पें भी हुई थीं।

जानकारी के अनुसार चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर अपने 50 हजार से अधिक सैनिक तैनात कर रखे हैं। इसके साथ ही वह ड्रोन का बड़े स्तर पर इस्तेमाल कर रहा है जो भारतीय सीमा के पास उड़ान भरते हैं और यहां की टोह लेने की कोशिश कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार भारत इस पर नजर तो बनाए ही हुए है इसके साथ ही इस खतरे का मुकाबला करने की तैयारी भी कर रहा है। जल्द ही भारतीय सेना को नए इस्राइली और स्वदेशी ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे जो सेना की क्षमता और बढ़ाएंगे। 

दोनों देशों के बीच विवाद की शुरुआत सिक्किम में नाकु ला इलाके और पैंगोंग त्सो झील समेत पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में हुई थी। चीनी सैनिकों ने लंबे समय तक यहां रुकने के लिए बड़े स्तर पर निर्माण कार्य भी किया था। इसके लगभग सभी सैन्य शिविरों में कंक्रीट से निर्माण किया गया है जहां इसके सैनिक रुक सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इस विवाद का समाधान ढूंढने के लिए सैन्य और राजनयिक स्तर पर वार्ताओं का दौर चल रहा है और विवाद के कई इलाकों से सैन्य वापसी भी हो चुकी है।

इस बीच चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिसरी ने चीन-भारत संबंधों पर चौथे उच्च स्तरीय ट्रैक-2 संवाद में कहा कि पड़ोसी होने के अलावा भारत और चीन बड़ी और उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं। इनके बीच मतभेद और समस्याएं होना असामान्य नहीं है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण सवाल यह है कि इनसे कैसे निपटा जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि हमारी सीमाओं पर शांति बनाए रखने के लिए नतीजे तार्किकता, परिपक्वता और सम्मान पर आधारित हो।

उन्होंने कहा कि पिछले साल जुलाई में गलवां घाटी में सेना हटाने के बाद से दोनों पक्षों ने इस साल फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी व दक्षिणी छोर और अगस्त में गोगरा से सैनिकों को हटाया। उन्होंने कहा कि बाकी स्थानों के संबंध में दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है। हम उम्मीद करते हैं कि बाकी के टकराव वाले इलाकों में सेना हटाने से हम ऐसी स्थिति में पहुंच जाएंगे, जहां हम द्विपक्षीय सहयोग की राह पर बढ़ सकते हैं।

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