झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: INDIA ब्लॉक का बढ़ेगा कुनबा ! क्या त्याग करेंगे झामुमो- कांग्रेस – Jharkhand Assembly Elections 2024

Jharkhand Assembly Elections 2024. झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने तैयारी शुरू कर दी है. झारखंड में इंडिया गठबंधन भी अपना कुनबा बढ़ाना चाहता है. लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि अगर नए सहयोगी बनते हैं तो फिर सीटों के साथ कौन-कौन से दल समझौता करेंगे.

झारखंड में महागठबंधन की सरकार दूसरी बार बनाने और NDA को सत्ता से दूर रखने के लिए राज्य में INDIA ब्लॉक का कुनबा बढ़ाने की बात महागठबंधन के सभी दल करते हैं. सीपीआई माले के विधायक विनोद कुमार सिंह भी कह चुके हैं कि भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिये पार्टी INDIA ब्लॉक के तहत विधानसभा चुनाव लड़ने को इच्छुक है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि 81 विधानसभा सीट वाली झारखंड विधानसभा में महागठबंधन के दल झामुमो, कांग्रेस और राजद अपने अपने कोटे की सीट त्यागने को तैयार हैं.

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए सबसे बड़ा सवाल यही रहेगा कि क्या झामुमो 2019 में लड़ी 43 विधानसभा सीट से कम सीट पर चुनाव लड़ने को राजी हो जाएगा. या 2019 में 31 विधानसभा सीट पर लड़ी कांग्रेस पार्टी इससे कम सीट पर राजी हो जाएगी. सबसे अहम सवाल यह कि 22 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने का मन बना चुका राजद 2019 में मिले 07 विधानसभा सीट से भी कम पर तैयार हो पाएगा.

इन सवालों पर राज्य में महागठबंधन और INDIA ब्लॉक का भविष्य तय करता है लिहाजा ETV BHARAT ने महागठबंधन के तीनों पुराने दल झामुमो, कांग्रेस और राजद के नेताओं से बात कर यह जानने की कोशिश की कि क्या जब माले या अन्य लेफ्ट पार्टियां INDIA ब्लॉक का हिस्सा बनती हैं तो वह 2019 की अपने कोटे से कम सीट पर चुनाव लड़ने को राजी हो जायेंगे.

कार्यकर्ताओं की इच्छा, अधिक सीट पर लड़ें चुनाव- झामुमो

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि विधानसभा चुनाव में किसे कितनी सीट मिलेंगी, यह INDIA ब्लॉक की बैठक में फैसला होगा. लेकिन हमारे कार्यकर्ताओं का दवाब और जमीनी हकीकत यही बयां करते हैं कि झामुमो को अधिक सीट पर चुनाव लड़ना चाहिए.

हम पहले से ही कम सीट पर चुनाव लड़ते हैं- कांग्रेस

विधानसभा चुनाव में 2019 की अपेक्षा कम सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता जगदीश साहू कहते हैं कि कुनबा बढ़े यह तो सभी चाहते हैं. लेकिन जहां तक सीट त्यागने की बात है तो कांग्रेस तो पहले से कम सीट पर चुनाव लड़ती है, ऐसे में जो दल अधिक सीट पर चुनाव लड़ता है वह त्याग करे.

2019 में कम सीट पर लड़ा था राजद- राजेश यादव

वहीं, झारखंड राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपाध्यक्ष राजेश यादव ने कहा कि 2019 में तत्कालीन रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को सत्ता में आने से रोकने के लिए पार्टी सिर्फ 07 सीट पर चुनाव लड़ने को राजी हो गयी थी. लेकिन हर बार ऐसा नहीं होगा.

सीपीआई माले और मासस का इन विधानसभा सीटों पर अच्छी पकड़

सीपीआई माले में मासस का विलय होने वाला है और उसके बाद विधानसभा चुनाव के भी सीपीआई माले इंडिया ब्लॉक का हिस्सा बनने के मुद्दे पर बात आगे बढ़ेगी. ऐसे में सीपीआई माले के जनाधार वाले विधानसभा सीट बगोदर, धनवार, सिंदरी, निरसा और जमुआ को लेकर महागठबंधन के अंदर कौन कितना त्याग कर पाता है यह बड़ा सवाल है.

अगर कुनबा को और बढ़ाने के लिए सीपीएम और सीपीआई को भी एडजस्ट करने की बात सामने आएगी तो कांग्रेस और झामुमो त्याग के लिए कितना तैयार होगा यह बड़ा सवाल है. 2019 में बगोदर में माले के अलावा कांग्रेस के उम्मीदवार भी मैदान में था, जबकि धनबार में माले के प्रत्याशी के साथ साथ महागठबंधन की ओर से झामुमो के प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. इसी तरह निरसा में 2019 में मासस केउम्मीदवार अरूप चटर्जी भी चुनाव में थे तो महागठबंधन की ओर से झामुमो के अशोक मंडल ने 47 हजार से अधिक मत पाए थे.

सिंदरी विधानसभा सीट पर भी लेफ्ट के साथ साथ झामुमो के उम्मीदवार भी महागठबंधन की ओर से थे जिन्हें 33 हजार से अधिक मत मिले थे. जमुआ विधानसभा सीट पर भी 2019 में सीपीआई माले और कांग्रेस के प्रत्याशी चुनावी समर में उतरे थे. अब अगर सीपीआई माले का इंडिया ब्लॉक में एंट्री हुआ तो कांग्रेस और झामुमो कितना त्याग करेंगे यह सवाल बना हुआ है

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