हर इंसान को प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद लेना जरूरी होता है लेकिन आजकल हर व्यक्ति अपने दिनचर्या में इतना बिजी हो गया है कि अपना भी ध्यान नहीं रख पाता है। नींद को कई बीमारियों के इलाज के लिए सबसे अच्छी दवा के रूप में जाना जाता है, लेकिन रिसर्च से पता चलता है कि जो लोग आवश्यकता से अधिक सोते हैं, उन्हें स्ट्रोक का शिकार होने का अधिक खतरा हो सकता है।
रिसर्च से पता चला है कि लंबे समय तक सोने वाले लोगों में कोलेस्ट्रॉल के स्तर में प्रतिकूल परिवर्तन और मोटापे में वृद्धि देखी गई, जो दोनों स्ट्रोक के लिए जोखिम कारक हैं। लंबी झपकी और नींद एक निष्क्रिय जीवन शैली का परिणाम है जो स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम से भी संबंधित है।”
एक रिसर्च ने संकेत दिया है कि जो लोग 90 मिनट से अधिक दोपहर के दौरान नियमित रूप से झपकी लेते हैं, उनके जीवन में बाद में स्ट्रोक होने की 30 मिनट तक की नींद लेने वाले लोगों की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक होती है। जिन लोगों ने झपकी नहीं ली थी, उनमें 30 मिनट तक झपकी लेने वाले लोगों की तुलना में स्ट्रोक होने की संभावना बिल्कुल भी नहीं थी।
रिसर्च से यह निष्कर्ष निकाला गया कि जो लोग रात के दौरान नौ घंटे या उससे अधिक समय तक सोते थे, उनमें स्ट्रोक होने की आशंका 23 प्रतिशत अधिक थी, जो रात में सात या उससे कम घंटों तक सोने वाले लोगों की तुलना में अधिक था।
रिसर्च में चीन के 31,750 लोगों को शामिल किया गया, जिनकी औसत आयु 62 थी। शोधकर्ताओं ने छह साल तक लोगों का अनुसरण किया, जिसके दौरान स्ट्रोक के कुल 1,557 मामले सामने आए।