सिर्फ 6 दिन में ताजमहल (Taj Mahal) के अंदर एक 7 फुट लंबा अजगर (Python) और एक 5 फुट लंबा रैट स्नेक पकड़ा गया है। लॉकडाउन के दौरान वेस्ट गेट स्थित एक दुकान से और ईस्ट गेट के पास एक घर से अजगर पकड़ा गया। लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान अजगर ताज के आसपास सड़क पर रेंगते हुए भी देखे गए। ताज के पास जंगलों में अजगर का कुनबा बढ़ने की बात वाइल्ड लाइफ विभाग पहले ही कह चुका है। लॉकडाउन में ताज के अंदर ह्यूमन एक्टिविटी न होने, चूहे, खरगोश, नील गाय, बंदर, कबूतर जैसी खुराक मिलने के चलते भी अजगर और सांप (Snake) का कुनबा ताज के अंदर बढ़ने की आशंका है।
वाइल्ड लाइफ एसओएस के डायरेक्टर (कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स) डॉ. बैजूराज एमवी बताते हैं, ‘अजगर हरियाली और शांत रहने वाला इलाका ज़्यादा पसंद करता है। खास बात यह है कि जहां भी इस तरह के इलाके होते हैं तो वहां अजगर की खुराक वाले चूहे, खरगोश, बंदर, कबूतर, हिरन, नील गाय आदि जानवर और पशु-पक्षी भी मिलते हैं। ताजमहल के आसपास बबुल का जंगल है। वहां किसी तरह की बहुत ज़्यादा ह्यूमन एक्टिविटी भी नहीं है, तो यह इलाका अजगर को पसंद आ रहा है।’
वाइल्ड लाइफ जर्नलिस्ट अंशु पारिक बताती हैं, ‘आगरा में अगर सबसे ज़्यादा अजगर कहीं है तो वो कीठम इलाके में है। यमुना के रास्ते कीठम और ताजमहल के बीच दूरी ज़्यादा नहीं है। ताजमहल में उन्हें खूब हरियाली मिल रही है। वन विभाग की कोशिशों और ताज की ज़रूरत को देखते हुए फॉरेस्ट एरिया भी बढ़ाया गया है। जब हरियाली बढ़ी तो अजगर की खुराक कहे जाने वाले खरगोश और चूहे भी बढ़े।
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जुलाई-सितम्बर में अजगर और अन्य सांप अपने बिलों से बाहर आ जाते हैं और शिकार की तलाश में रहते हैं। बरसात के दिनों में इन्हें हरियाली भी खूब मिलती है। यही वजह है कि बीते साल सितम्बर-अक्टुबर में ही 100 से ज़्यादा दूसरे सांप और अजगर रेस्क्यू किए गए थे। जिसमे 11 सितंबर को एक फैक्ट्री में अजगर निकला। 20 सितंबर को हाईवे पर छह फुट लंबा अजगर दिखाई पड़ा।
सात अक्टूबर को जोग सोहणा गांव में पांच फीट लंबा अजगर पाया गया। सात अक्टूबर को ही एक कोबरा और अजगर सहित कुल चार सांप रेस्क्यू किए गए। 10 अक्टूबर को पनवारी में एक ज़हरीले करैत को रेस्क्यू किया गया। 19 अक्टूबर को एक ट्यूबवेल से एसओएस रेस्क्यू टीम ने छह फुट लंबे कोबरा का रेस्क्यू किया। इसी दिन एक विशाल अजगर का भी रेस्क्यू किया गया।