महाभारत काल की खोज को ध्यान में रख कर बागपत के सिनौली में खोदाई कराने वाले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को बड़ी सफलता हाथ लगी है। इस खोदाई में मिले जिन जले हुए अवशेषों को जांच के लिए लैब भेजा गया था। कार्बन डेटिंग (कार्बन DATING) जांच में इनके 3800 साल पुराने होने की पुष्टि हुई है। वहीं सिनौली की खोदाई में मिले एक हौद के बारे में सीक्रेट चैम्बर होने के बारे में पता चला है। इस चैम्बर का उपयोग अंतिम संस्कार के लिए शव को लाए जाने के बाद लेप आदि लगाने के लिए किया जाता था। इसके बाद इसे ताबूत में रख कर जमीन में गाड़ दिया जाता था। इस चैम्बर में दक्षिण दिशा से प्रवेश के संकेत मिले हैं।
बागपत के सिनौली में दो साल तक लगातार खोदाई हुई है। इसमें शाही ताबूत, दो ताबूतों के साथ रथ,धनुष बाण, तलवार, युद्ध में पहना जाने वाले हेलमेट आदि ऐसी चीजें मिली हैं जो ताबूतों में रखे शवों के योद्धाओं के होने की ओर इशारा करती हैं। इन ताबूतों के साथ मिट्टी के बर्तनों में जले हुए कुछ अवशेष मिले थे। ये कितने पुराने हैं इनकी जांच के लिए ASI ने इनके तीन सैंपल लखनऊ स्थित बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान को भेजे थे। जिनकी रिपोर्ट करीब एक माह पहले ASI के पास आ गई है, जिसमें इन अवशेषों के 3800 साल पुराने होने की पुष्टि की है।