अमेरिकी संसद (US Parliament) की एक स्वतंत्र रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत (India) उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल है, जो हाइपरसोनिक मिसाइल (Hypersonic Missile) विकसित कर रहे हैं. अमेरिकी संसद की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब हाल में एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन ने एक परमाणु सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल का प्रक्षेपण किया है, जिसने अपने लक्ष्य से चूकने से पहले पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाया था. चीन ने अपने इस परीक्षण से अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को हैरान कर दिया है.
स्वतंत्र ‘कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस’ (CRS) ने इस सप्ताह अपनी रिपोर्ट में कहा कि अमेरिका, रूस और चीन के सबसे आधुनिक हाइपरसोनिक हथियार कार्यक्रम हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया, भारत, फ्रांस, जर्मनी और जापान समेत कुछ अन्य देश भी हाइपरसोनिक हथियार प्रौद्योगिकी विकसित कर रहे हैं. सीआरएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और भारत ने रूस के साथ इस संबंध में गठजोड़ किया है. सीआरएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने मैक 7 हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस 2 को विकसित के लिए रूस के साथ गठजोड़ किया है.
अमेरिकी सांसदों के लिए इस विषय के विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई संसद की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत लगभग 12 हाइपरसोनिक पवन सुरंगों का संचालन करता है और 13 मैक तक की गति का परीक्षण करने में सक्षम है. समाचार पत्र फाइनेंशियल टाइम्स की खबर के मुताबिक, चीन ने अगस्त में एक परमाणु-सक्षम मिसाइल का परीक्षण किया था, जिसने अपने लक्ष्य की ओर तेजी के साथ बढ़ने से पहले पृथ्वी का चक्कर लगाया. इसमें कहा गया कि इस परीक्षण से अमेरिकी खुफिया एजेंसियां भी हैरान हो गईं. हालांकि चीन ने कहा कि उसने एक हाइपरसोनिक यान (व्हीकल) का परीक्षण किया है, न कि परमाणु-सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल का. प्रमुख ब्रिटिश समाचार पत्र ने अपनी खबर में दावा किया था कि चीन ने उन्नत अंतरिक्ष क्षमता वाली एक हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है और यह लगभग 24 मील की दूरी के अंतर से अपने लक्ष्य को भेदने में चूक गई.
CRS के अनुसार, 2007 से हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए अमेरिका ने ‘हाइपरसोनिक इंटरनेशनल फ्लाइट रिसर्च एक्सपेरिमेंटेशन’ (हाईफायर) कार्यक्रम को लेकर ऑस्ट्रेलिया के साथ गठजोड़ किया है. भारत की तरह, फ्रांस ने भी हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी के विकास के लिए रूस के साथ गठजोड़ और अनुबंध किया है तथा जापान ‘हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल’ और ‘हाइपर वेलोसिटी ग्लाइडिंग प्रोजेक्टाइल’ विकसित कर रहा है.