होलिका दहन आज 13 मार्च गुरुवार को है. लेकिन होलिका दहन पर भद्रा का साया है. इस वजह से होलिका दहन का कार्यक्रम प्रदोष काल में न होकर रात के समय में होगा. होलिका दहन को असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक मानते हैं. विष्णु भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए हिरण्यकश्यप की बहन होलिका उनको जलती आग में लेकर बैठ गई. लेकिन हरि कृपा से प्रह्लाद का कुछ नहीं बिगड़ा और होलिका आग में जलकर मर गई. इस वजह से हर साल फाल्गुन पूर्णिमा को प्रदोष काल में होलिका दहन करते हैं. होलिका दहन मुहूर्त, पूजा विधि, पूजन सामग्री, भद्रा समय आदि के बारे में.
होलिका दहन मुहूर्त 2025
होलिका दहन की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ: आज, सुबह 10 बजकर 2 मिनट से
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का समापन: कल, 11 बजकर 11 मिनट पर
होलिका दहन का समय: आज, रात 10:40 बजे के बाद से
होलिका दहन पर भद्रा का समय: आज, सुबह 10:02 बजे से रात 10:40 बजे तक
होलिका दहन 2025 पूजा सामग्री
- सूखी लकड़ियां, सूखी घास और उप्पलें, इसमें पीपल, आम, बरगद, आंवला आदि लकड़ियां नहीं जलाते हैं.
- अक्षत्, फूल, माला, हल्दी, रोली, धूप, कपूर, माचिस
- रंग, गुलाल, एक लोटा या कलश, उसमें पानी
- जौ, मूंग और गेहूं की बालियां
- बताशा, नारियल, गुड़, मिठाई
होलिका दहन 2025 पूजा विधि
आज होलिका दहन के समय लाल, पीले या गुलाबी रंग के वस्त्र पहनें. काले या सफेद रंग के कपड़े से परहेज करें. शुभ मुहूर्त के समय यानि रात 10 बजकर 40 मिनट पर होलिका दहन के स्थान पर एकत्र हों. अपने साथ होलिका दहन की पूजा सामग्री साथ लेकर जाएं. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं. दक्षिण दिशा में एक कलश स्थापित करें.
उसके बाद पहले गणेश जी का पूजन करें. फिर ओम होलिकायै नम: मंत्र का उच्चारण करते हुए होलिका पूजा करें. इसके बाद ओम प्रह्लादाय नम: और ओम नृसिंहाय नम: मंत्र एवं पूजन सामग्री से भगवान नृसिंह और भक्त प्रह्लाद की पूजा करें.
पूजन के बाद 7 बार होलिका की परिक्रमा करें. उसमें 7 बार कच्चा सूत लपेटें. फिर कपूर और उप्पलों की मदद से आग जलाएं और होलिका दहन करें. होलिका दहन के समय सभी अनाज आग में डाल दें. होलिका की आग में गेहूं की बालियां सेंककर खाने से सेहत ठीक रहती है. ऐसी लोक मान्यता है.
होली कब है?
आज सभी जगह होलिका दहन है. उसके अगले दिन यानि कल 14 मार्च को बनारस में होली खेली जाएगी, जबकि अन्य जगहों पर होली 15 मार्च को होगी.