03 मार्च से 8 दिनों के लिए लग रहा है होलाष्टक

होली से पहले के 8 दिनों को होलाष्टक कहा जाता है। इस वर्ष होलाष्टक 03 मार्च से प्रारंभ हो रहा है, जो 09 मार्च यानी की होलिका दहन तक रहेगा। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर पूर्णिमा ​तिथि तक होलाष्टक माना जाता है। 09 मार्च को होलिका दहन के बाद अगले दिन 10 मार्च को रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया जाएगा। ज्योषित शास्त्र के अनुसार, होलाष्टक के आठ दिनों में मांगलिक कार्यों को करना निषेध होता है। इस समय किसी भी मांगलिक कार्य करने पर अपशगुन माना जाता है।

होलाष्टक में तिथियों की गणना की जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, देखें तो इस बार होलाष्टक 03 मार्च से प्रारंभ होकर 09 मार्च को समाप्त हो रही है, ऐसे में यह कुल 7 दिनों का हुआ। लेकिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, तिथियों को ध्यान में रखकर गणना करेंगे तो यह अष्टमी से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तक है, ऐसे में कुछ दिनों की संख्या 8 होती है।

होलाष्टक में क्या न करें:-

  1. विवाह: होली से पूर्व के 8 दिनों में भूलकर भी विवाह न करें। यह समय शुभ नहीं माना जाता है, जब तक कि कोई विशेष योग आदि न हो।
  2. नामकरण एवं मुंडन संस्कार: होलाष्टक के समय में अपने बच्चे का नामकरण या मुंडन संस्कार कराने से बचें।
  3. भवन निर्माण: होलाष्टक के समय में किसी भी भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ न कराएं। होली के बाद नए भवन के निर्माण का शुभारंभ कराएं।
  4. हवन-यज्ञ: होलाष्टक में कोई यज्ञ या हवन अनुष्ठान करने की सोच रहे हैं, तो उसे होली बाद कराएं। इस समय काल में कराने से आपको उसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा।
  5. नौकरी: होलाष्टक के समय में नई नौकरी ज्वॉइन करने से बचें। अगर होली के बाद का समय मिल जाए तो अच्छा होगा। अन्यथा किसी ज्योतिषाचार्य से मुहूर्त दिखा लें।
  6. भवन, वाहन आदि की खरीदारी: संभवत हो तो होलाष्टक के समय में भवन, वाहन आदि की खरीदारी से बचें। शगुन के तौर पर भी रुपए आदी न दें।

होलाष्टक के समय में अपशकुन के कारण मांगलिक कार्यों पर रोक होती है। हालांकि होलाष्टक में भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है। इस समय में आप अपने ईष्ट देव की पूजा-अर्चना, भजन, आरती आदि करें, इससे आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।

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