इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने हाथरस दुष्कर्म कांड को गंभीरता से लेते हुए स्वत: संज्ञान लिया है। कोर्ट ने गुरुवार को घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए UP सरकार, शासन के शीर्ष अधिकारियों और Hathras के DM व SP को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पीड़िता के साथ हाथरस पुलिस के बर्बर, क्रूर और अमानवीय व्यवहार पर राज्य सरकार से भी प्रतिक्रिया मांगी है। पीठ इस मामले की सुनवाई 12 अक्टूबर को करेगी। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ इस मुद्दे को स्वत: संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने Hathras की घटना पर बहुत सख्त निर्देश देते हुए हाथरस पुलिस और प्रशासन के कृत्य पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। HC ने इस घटना पर राज्य सरकार से भी प्रतिक्रिया मांगी है। इसके साथ ही प्रमुख सचिव गृह, DGP, ADG कानून और व्यवस्था, हाथरस DM और SP को नोटिस जारी कर उन्हें अगली सुनवाई पर तलब किया गया है।
बता दें कि 14 सितंबर को उत्तर प्रदेश के Hathras जिले के चंदपा थाना क्षेत्र के एक गांव में 19 वर्षीय लड़की के साथ क्रूरता की गई। इसके बाद पहले उसे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया और सोमवार को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शिफ्ट किया गया, जहां पर उसने मंगलवार को दम तोड़ दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर Hathras दुष्कर्म मामले में सचिव गृह भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय एसआइटी जांच कर रही है। SIT पुलिस भूमिका की भी जांच करेगी। एसआइटी में महिला अधिकारी SP पूनम भी शामिल हैं। Hathras की घटना को लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री से वार्ता कर दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई किए जाने की बात कही थी।
फारेंसिक जांच में नहीं हुई दुष्कर्म की पुष्टि –
फारेंसिक लैब में Hathras की युवती की स्लाइड और कपड़ों की जांच में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई है। ADG अजय आनंद ने गुरुवार को इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पुलिस इस मामले में आरोपितों के खिलाफ हत्या की धारा के तहत कार्रवाई करेगी। लैब ने रिपोर्ट हाथरस पुलिस को सौंप दी है। उन्होंने बताया कि स्लाइड के साथ युवती के कपड़े जांच के लिए आगरा फारेंसिक लैब भेजे गए थे। 10 दिन में रिपोर्ट मांगी गई थी।
चीफ जस्टिस को भेजा था पत्र –
बता दें कि Hathras दुष्कर्म मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र भेजकर इस समूचे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की गयी है। पत्र में विशेष जांच एजेंसी को जांच ट्रांसफर करने की भी मांग की गयी है। अधिवक्ता गौरव द्विवेदी ने मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर को पत्र भेजकर उनसे प्रार्थना की है कि वह 14 सितंबर को हुए इस दुष्कर्म मामले का स्वत: संज्ञान लेकर युक्ति-युक्त निर्देश जारी करें। पत्र में अधिवक्ता ने लिखा है कि चार लोगों ने दुष्कर्म के बाद गला दबाकर मारने की कोशिश की थी। यह घटना प्रदेश की कानून व्यवस्था की खराब दशा को भी उजागर कर रही है। प्रदेश में कानून का शासन है, जनता के मन में ऐसा विश्वास पैदा करने के लिए आवश्यक है। इस दुष्कर्म मामले की जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराई जाए, ताकि समूचे घटना की सही जांच हो सके-