Mothers Day Special

जानिए कब है मदर्स डे

मां जैसा प्‍यार इस दुनिया में और कोई नहीं कर सकता. मां को कितना भी Love और Respect दे दिया जाए लेकिन वह कम ही पड़ा जाता है। मां के प्‍यार, त्‍याग और तपस्‍या के बदले व्यक्ति उसे कुछ नहीं लौटा सकता। वैसे तो मां के प्रति सम्‍मान और प्‍यार जताने के लिए किसी विशेष दिन की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन मदर्स डे पर हम अपनी भावनाओं को कुछ अलग तरीके से जाहिर कर सकते हैं। यही वजह है कि हर साल मई के दूसरे रविवार को दुनिया भर में मदर्स डे मनाया जाता है। इस बार मदर्स डे 9 मई को है। मदर्स डे के दिन लोग कई तरह से मां के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। हर इंसान की जिंदगी में मां सबसे जरूरी होती है। मां हमारी जरूरतों से लेकर हर छोटी-बड़ी खुशियों का ख्याल रखती है और बदले में हमसे कुछ नहीं मांगती। इसलिए हम लोगों को भी अपनी मां को हर दिन ही खास महसूस कराना चाहिए।

कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस बार Mother’s Day सभी के लिए कुछ अलग होगा, लेकिन इसको मनाने के पीछे लोगों के जज़्बात और अपनी मां के लिए उनका प्यार पहले की तरह ही रहेगा। आपको बता दें कि आज के समय में महिलाएं कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित रहती हैं। इसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं लेकिन महिलाओं का लाइफस्टाइल और उसमें आया बदलाव इन बीमारियों का सबसे बड़ा कारण है। कई बार तो ये बीमारियां गंभीर रूप धारण कर लेती हैं। ऐसे में जरूरी है कि उन्हें उन सभी बीमारियों की पूरी जानकारी हो। इसके अलावा इन बीमारियों के खिलाफ महिलाओं का जागरूक होना भी बहुत जरूरी है। आइए मदर्स डे के इस मौके पर जानते हैं ऐसी कुछ बीमारियों के बारे में जो महिलाओं को अक्सर होती हैं और वह उसे नजरअंदाज करती हैं जिसके चलते वह बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है।

एनीमिया
हमारे शरीर की कोशिकाओं को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इस ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न हिस्सों में रेड ब्लड सेल्स में मौजूद हीमोग्लोबिन द्वारा पहुंचाया जाता है। शरीर में आयरन की कमी से रेड ब्लड सेल्स और हीमोग्लोबिन का निर्माण प्रभावित होता है। इससे कोशिकाओं को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता, जो कारबोहाइड्रेट और वसा को जला कर ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए जरूरी है। इससे शरीर और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। इस स्थिति को एनीमिया कहते हैं। पुरुषों के मुकाबले यह समस्या महिलाओं में अधिक पाई जाती है। हमारे देश की ज्यादातर महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं।

ब्रेस्ट कैंसर

भारत में महिला ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों की संख्या काफी अधिक है। ज्यादातर शहरी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले देखे जाते हैं। ब्रेस्ट शरीर का एक अहम अंग है। ब्रेस्ट, टिश्यू के माध्यम से दूध बनाता है। ये टिश्यू डक्ट के जरिए निप्पल से जुड़े होते हैं। इसके अलावा इनके चारों ओर कुछ अन्य टिश्यू, फाइब्रस मैटेरियल, फैट, नर्व्स, रक्त वाहिकाएं और कुछ लिंफेटिक चैनल होते हैं, जो ब्रेस्ट की संरचना को पूरा करते हैं। आपको बता दें कि ज्यादातर ब्रेस्ट कैंसर डक्ट में छोटे कैल्शिफिकेशन के जमने से या स्तन के टिश्यू में छोटी गांठ बनने से होता है। इसके बाद ये बढ़कर कैंसर में ढलने लगते हैं। इसका प्रसार लिंफोटिक चैनल या रक्त प्रवाह के जरिए अन्य अंगों की ओर हो सकता है।
युरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन

युरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन महिलाओं में होने वाली बहुत आम बीमारी है। महिलाओं के शरीर में यह संक्रमण तेजी से फैल जाता है। यूटीआई तब होता है, जब बैक्टीरिया या फंगस पाचन तंत्र से निकल कर युरिनरी वॉल पर चिपक जाते है और तेजी से बढ़ते चले जाते हैं। अगर संक्रमण को लंबे समय तक अनदेखा किया जाए तो ये बैक्टीरिया ब्लैडर और किडनी तक भी पहुंच सकता है और उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है।

एन्डोमेट्रीओसिस

महिलाएं अपनी शारीरिक संरचना और आज के लाइफस्टाइल के चलते कई बार ऐसी बीमारियों की शिकार हो जाती हैं, जो उन्हें जीवन भर परेशान करती हैं। एन्डोमेट्रीओसिस एक ऐसी ही बीमारी है। यह एक ऐसा ट्यूमर है, जिसमें यूट्रस के आसपास की कोशिकाएं सेल्स की तरह का व्यवहार करने लगती हैं और शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलने लगती हैं। यूट्रस में होने वाला यह ट्यूमर कई बार महिलाओं के लिए जानलेवा भी साबित होता है। इसे नजर अंदाज न करें।

अर्थराइटिस

जब हड्डियों के जोड़ों में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो वह गठिया का रूप ले लेता है। यूरिक एसिड कई तरह के खाने से शरीर में प्रवेश करता है। इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और बहुत दर्द होता है। इस बीमारी को गठिया भी कहा जाता है। महिलाओं में एस्ट्रोजन की कमी के कारण, शरीर में आयरन व कैल्सियम की अधिकता, पोषण की कमी, मोटापा, ज्‍यादा शराब पीना, हाई ब्‍लड प्रेशर और किडनियों को ठीक प्रकार से काम न करने की वजह से गठिया होता है।

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