गुजरात राज्य में 2002 में हुए दंगों के मामले में मंगलवार को 17 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने जमातन दे दी है। लेकिन वह गुजरात राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। उन्हें बाहर रहकर समाज सेवा करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट ने इन दोषियों को दो भागों में बांटा है एक भाग को मध्यप्रदेश के इदौर और दूसरे को जबलपुर भेजा गया है। कोर्ट ने सशर्त जमानत दी है कि वह बाहर रहकर सामाजिक और धार्मिक काम करेंगे।
SC ने इंदौर और जबलपुर में विधिक अधिकारियों से कहा है कि वो जमानत के दौरान दोषियों द्वारा आध्यात्मिक और सामाजिक कार्य करने को सुनिश्चित करें। कोर्ट ने अफसरों से उन्हें आजीविका के लिए काम करने के लिए भी कहा है। कोर्ट ने राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण को अनुपालन रिपोर्ट दायर करने के लिए कहा है।
28 फरवरी 2002 को के मेहसाणा जिले की विजयपुर तहसील के सरदारपुर गांव में अल्पसंख्यक समुदाय के 33 लोगों को जिंदा जला दिया गया था। यह नरसंहार उस समय हुआ था, जिससे पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बों में हुए अग्निकांड में 59 लोग मारे गए थे। SC की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने मामले में 76 लोगों को गिरफ्तार किया। 2009 में 73 के खिलाफ आरोप तय हुए थे। आयोग ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उस दौरान की गुजरात सरकार को क्लीन चिट दे दी थी।