अमेरिका ने दी मंजूरी, इंसानी दिमाग में लगेगी Elon Musk की चिप, हजारों लोग हुए तैयार

Elon Musk के स्टार्टअप Neuralink को अमेरिकी एजेंसी FDA की तरफ से ह्यूमन ट्रायल को लेकर क्लीन चिट मिल गई है और आने वाले कुछ महीनों के अंदर वह ट्रायल का प्रोसेस शुरू करेगा. स्टार्टअप का लक्ष्य साल 2030 तक 22 हजार लोगों पर ब्रेन चिप इंप्लांट करना है. बताते चलें कि इस चिप की मदद से आसपास मौजूद लैपटॉप, टैबलेट और अन्य गैजेट तक वायरलेस कनेक्टिविटी के जरिए कमांड दे सकेगा.

अंतरिक्ष और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव करने के बाद Elon Musk अब इंसानी दिमाग को लेकर नई क्रांति करने जा रहे हैं. इसमें ह्यूमन ब्रेन में एक चिप लगाई जाएगी. इसके लिए वह पहले ही एक कंपनी तैयार कर चुके हैं, जिसका नाम Neuralink है.

दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, Elon Musk के स्टार्टअप Neuralink को अमेरिकी एजेंसी FDA की तरफ से ह्यूमन ट्रायल को लेकर क्लीन चिट मिल गई है. आने वाले सप्ताह के अंदर वह ट्रायल भी शुरू कर सकेगा.

ह्यूमन ब्रेन में लगेगा एक एडवांस चिप

दरअसल, Elon Musk का स्टार्टअप ह्यूमन ब्रेन के साथ एक चिप इंप्लांट करेगा. अभी यह ट्रायल के तौर पर शुरू होगा. गौर करने वाली बात यह है कि हजारों लोगों ने अपने ब्रेन में न्यूरालिंक चिप को इंप्लांट कराने की इच्छा जाहिर की है. ये लोग ट्रायल में बतौर वॉलेंटियर्स का काम करेंगे.

सर्जरी से लगेगी Neuralink की चिप

Neuralink के क्लिनिकल ट्रायल के तहत, सर्जरी करके इंसानी दिमाग पर एक ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) को इंप्लांट किया जाएगा. इससे वह चिप मूवमेंट और इंटेंशन को रिसीव करेगा. इसके बाद वह उन कमांड को आगे सेंड करेगा. इसके बाद उस चिपसेट के साथ कंपेटेबल डिवाइस उन कमांड को रिसीव करेंगे और आगे काम करेंगे. Neuralink ने बताया कि शुरुआती स्टेज में उसका मकसद कंप्यूटर कर्सर और कीबोर्ड को कंट्रोल करना है. यह कंट्रोल कमांड सीधे दिमाग में फिट की गई चिपेसट से मिलेगी.

Neuralink का क्या है प्लान?

Neuralink सभी परमिशन मिलने के बाद कुछ वॉलंटियर्स पर इसका ट्रायल शुरू करेगी. अभी यह कुछ लोगों पर शुरू होगा और साल 2030 तक कंपनी का लक्ष्य 22 हजारों लोगों के ब्रेन में इस चिप को इंस्टॉल करने का है. बताते चलें कि Elon Musk ने साल 2016 में Neuralink की शुरुआत की थी.

नियमों को भी तोड़ चुकी है Neuralink

कुछ महीने पहले Neuralink नियम तोड़ने की वज‍ काफी चर्चा में रही थी. दरअसल, कई एजेंसियों ने दावा किया था कि स्टार्टअप ने अपने डिवाइस की टेस्टिंग में इस्तेमाल किए गए जानवर का गलत तरीके से इस्तेमाल किया है और पहले से निर्धारित नियमों का उल्लंघन किया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2018 से अब तक कंपनी स्टार्टअप ने 1500 जानवरों को ब्रेन चिप इंप्लांट के ट्रायल में मार दिया.

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