झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले हर दल में झकझूमर की स्थिति है। सभी दल अपना-अपना स्ट्रेंथ नापने में लगे हैं। कोई यह कह रहा है कि झामुमो, कांग्रेस, राजद और मासस में गंठबंधन का रास्ता साफ हो गया है। पर दलों के भीतर इस बात पर भी चर्चा जारी है कि कैसे भगदड़ की स्थिति से निबटा जायेगा। झामुमो-कांग्रेस की बात करें, तो यदि सीट शेयरिंग होगी तो विक्षुब्ध इधर-उधर जरूर भागेंगे। वैसे झामुमो ने कांग्रेस को अधिकतम 16 सीटें देने का मन बनाया है।
एक से अधिक सीट पर कई दावेदारी
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि झामुमो 40 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव लोहरदगा, विशुनपुर, सिसई, गुमला, सिमडेगा सीट चाहते हैं। कांग्रेस का ही एक धड़ा और पूर्व विधायक रहे फुरकान अंसारी को संताल परगना में दो सीटें कम से कम चाहिए। झामुमो संताल परगना और कोल्हान के भरोसे अधिकतर सीटों पर दावेदारी करने के मूड में है। ऐसे में राष्ट्रीय जनता दल को पांच सीट देने पर विचार चल रहा है, जिसे अंतिम नहीं माना जा सकता है। इन परिस्थितियों में झामुमो और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग का मामला भी फंसता दिख रहा है।
कहां-कहां हो सकती है दिक्कतें
कांग्रेस यदि पाकुड़ पर अड़ी तो झामुमो के अकील अख्तर दूसरे दल की ओर अपना रास्ता अख्तियार करेंगे। यहां से आलमगीर आलम विधायक हैं. इनकी दावेदारी पक्की मानी जा रही है। सूत्रों का कहना गांडेय यदि कांग्रेस को मिला तो झामुमो के लिए यहां भी परेशानी होगी। झामुमो से सालखन सोरेन की पत्नी टिकट की प्रबल दावेदारों में से एक हैं।
गांडेय से सरफराज अहमद टिकट मांग रहे हैं। सिसई सीट पर 5 हजार वोट से हारे झामुमो के झिंगा मुंडा भी दल-बदल कर सकते हैं, यहां पर कांग्रेस दावेदारी ठोंक रही है। कमोबेश यही स्थिति विश्रामपुर में है, जहां दूसरे नंबर पर झामुमो की अंजू सिंह रही थीं। यह सीट पूर्व विधायक ददई दुबे को चाहिए।
मासस के अरूप चटर्जी को निरसा चाहिए, यहां पर अशोक मंडल दूसरे स्थान पर थे। कांग्रेस की एकमात्र सांसद गीता कोड़ा को चक्रधरपुर, मझगांव, मनोहरपुर समेत चार सीटें चाहिए। आठ से अधिक सीटों पर जिच चल रही है। झामुमो के लिए सिंदरी भी सरदर्द बना हुआ है। तमाड़ के विधायक विकास मुंडा हाल ही में पार्टी में शामिल हुए हैं, इसलिए तमाड़ सीट को लेकर कांग्रेस के साथ झामुमो के बीच टकराव होना लाजिमी है।