रक्षा बंधन का पर्व बेहद पवित्र त्योहार है। रक्षा बंधन के पर्व पर बहने अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र यानि राखी बांधती हैं जिस बदले में भाई अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं इसके साथ ही उपहार आदि भी देते हैं। रक्षा बंधन का पर्व भाई बहन के प्रेम का त्योहार है।
पंचांग के अनुसार तीन अगस्त को कई विशेष योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन रक्षा बंधन के पर्व के साथ कई अन्य महत्व पूर्ण पर्व भी हैं। तीन अगस्त को ही सावन के सोमवार का अंतिम व्रत भी है। इस दिन सावन का पांचवां सोमवार है।
इस दिन पूर्णिमा की तिथि है। पूर्णिमा की तिथि इस दिन रात्रि 9 बजकर 28 मिनट तक है। इस दिन नक्षत्र उत्तराषाढ़ा रहेगा और प्रीत योग रहेगा। रक्षा बंधन के दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे और सूर्य गोचर कर्क राशि में रहेगा। रक्षा बंधन पर बनने वाले शुभ मुहूर्त-
अभिजित मुहूर्त
12:00 PM से 12:54 PM
अमृत काल
09:25 PM से 11:04 PM
सर्वार्थ सिद्धि योग
07:19 AM से 05:44 AM , अगस्त 04
रवि योग
05:44 AM से 07:19 AM
विजय मुहूर्त
02:42 PM से 03:35 PM
गोधूलि मुहूर्त
06:57 PM से 07:21 PM
रक्षा बंधन पर राखी बांधने के शुभ मुहूर्त
तीन अगस्त को रक्षा बंधन का त्योहार है इस दिन राखी बांधने के तीन मुहूर्त है। इन मुहूर्तों में ही राखी बांधनी चाहिए। भाई की कलाई पर इन मुहूर्त में ही राखी बांधनी चाहिए। मान्यता कि शुभ मुहूर्त में रक्षा बंधन का पर्व मनाने पर विशेष फल प्राप्त होते हैं। अभिजित मुहूर्त में किया गया शुभ कार्य अभिजित माना गया है।
शुभ मुहूर्त-
09:27:30 से 21:17:03 तक
रक्षा बंधन अपराह्न मुहूर्त
दोपहर 01:47:39 से 04:28:56 तक
रक्षा बंधन प्रदोष मुहूर्त
रात्रि 07:10:14 से 09:17:03 तक
रक्षाबंधन की स्पेशल थाली…
रक्षाबंधन की थाली में रोली, चावल, राखी, मिठाई , दीपक, थोड़े पुष्प और श्रीफल रखना चाहिए। पुराणों के अनुसार, बिना कलश में रखे जल के पूजा की थाल अधूरी मानी जाती है। दरअसल, सनातन धर्म में ऐसा माना जाता है कि कलश में सभी देवी-देवताओं का वास माना जाता है। इसके साथ ही पूजा की थाली में गुड़ और दही भी ले लें।
राखी बांधते समय पढ़ें ये मंत्र:
येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबल:.
तेन त्वाम प्रति बच्चामि, रक्षे! मा चल, मा चल।
कलश की पूजा के बाद बांधे राखी-
राखी बांधने से पहले आंगन को गोबर से अच्छे से लीपें रोली से स्वास्तिक बनाएं, इसके ऊपर जल से भरा कलश रखें। और इस कलश में आम के पत्तें सजा दें। इसके बाद इसके ऊपर नारियल रखकर पूजा करें। इसके बाद भाई को राखी बांधें।