कृषि कानूनों को लेकर केंद्र और किसानों के बीच बात बनने की जगह लगातार बिगड़ती हुई नजर आ रही है। 8 दौर की बैठकों के बाद भी नतीजा वही है जो डेढ़ महीने पहले था, यानी आंदोलन खत्म करने को लेकर कोई भी प्रोग्रेस नहीं हुई। अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार को फटकार लगाई और कानूनों को होल्ड पर रखने को कहा। इसके अलावा कोर्ट की निगरानी में कमेटी बनाने का भी जिक्र किया गया। लेकिन इसे लेकर अब किसानों की तरफ की तरफ से बयान जारी कर साफ किया गया है कि वो किसी भी तरह की कमेटी में हिस्सा नहीं लेंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा, जिसमें तमाम वो किसान संगठन हैं, जो पिछले डेढ़ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उसकी तरफ से एक प्रेस रिलीज जारी की गई है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई का जिक्र करते हुए कहा गया है कि, सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की समस्या को समझा और आज की सुनवाई में उनके पक्ष में राहत भरी बातें कहीं।
किसान संगठन समिति के विरोध में थे लेकिन सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वो इसके लिए अंतरिम आदेश देगा। सुनवाई के दौरान किसानों का पक्ष रख रहे वकील शर्मा ने बताया कि किसान संगठन सुप्रीम कोर्ट की ओर से समिति गठित किए जाने के पक्ष में नहीं हैं और वो समिति के समक्ष नहीं जाना चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि ‘अगर किसान सरकार के समक्ष जा सकते हैं तो कमिटी के समक्ष क्यों नहीं? अगर वो समस्या का समाधान चाहते है तो हम ये नहीं सुनना चाहते कि किसान कमिटी के समक्ष पेश नहीं होंगे।’
एम एल शर्मा ने कहा कि ‘मैंने किसानों से बात की है. किसान कमेटी के समक्ष पेश नही होंगे। वो कानूनों को रद्द करना चाहते हैं। वो कह रहे हैं कि PM मामले में बहस के लिए आगे नहीं आए।’ इसपर CJI बोबडे ने कहा कि ‘हमें समिति बनाने का अधिकार है। जो लोग वास्तव में हल चाहते हैं वो कमेटी के पास जा सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि ‘समिति हम अपने लिए बना रहे हैं, कमिटी हमें रिपोर्ट देगी। कमिटी के समक्ष कोई भी जा सकता है। किसान या वो वकील के माध्यम से भी।’ CJI ने कहा कि चूंकि पीएम इस मामले में पक्षकार नहीं हैं, ऐसे में कोर्ट इसपर कुछ नहीं कह सकता है।
कोर्ट ने कहा कि ‘हम समस्या को सबसे अच्छे तरीके से हल करने की कोशिश कर रहे हैं। शक्तियों में से एक का इस्तेमाल कर हमें कानून को निलंबित करना होगा। हम समस्या का समाधान चाहते हैं। हम जमीनी हकीकत जानना चाहते हैं इसलिए कमिटी का गठन चाहते हैं।’ CJI ने कहा कि ‘हम कानून को सस्पेंड करना चाहते हैं, सशर्त। लेकिन अनिश्चितकाल के लिए नहीं। हम कोई नकारात्मक इनपुट नही चाहते.।