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खुफिया एजेंसियों के अनुसार-प्रो-लेफ्ट विंग ने किसान आंदोलन किया हाइजैक,हो सकती है हिंसा

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 16वें दिन भी जारी है। इस बीच टिकरी बॉर्डर पर राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार शरजील इमाम, उमर खालिद समेत कई आरोपियों के पोस्टर और उनकी रिहाई की मांग की तस्वीर वायरल हो रही है। केंद्र सरकार ने एक ओर जहां इसकी खुले तौर पर मुखालफत की है वहीं दूसरी ओर इसे लेकर खुफिया एजेसियां भी सतर्क हो गई हैं।

खुफिया सूत्रों के अनुसार किसान आंदोलन से जुड़ी एक रिपोर्ट सरकार को भेजी गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि अल्ट्रा-लेफ्ट नेताओं और प्रो-लेफ्ट विंग के चरमपंथी तत्वों ने किसानों के आंदोलन को हाईजैक कर लिया है। जानकारी के अनुसार इस बात के विश्वसनीय खुफिया इनपुट हैं कि ये तत्व किसानों को हिंसा, आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उकसाने की योजना बना रहे हैं।

इसी वजह से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए, केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि टुकड़े-टुकड़े गैंग किसान आंदोलन को ओवरटेक करने में लगा है। यह एक भयावह तरीका है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि शायद इन्हीं लोगों की वजह से बातचीत फेल हो रही है। ये लोग राष्ट्र की संप्रभुता के लिए हानिकारक हैं।

टिकरी बॉर्डर पर गुरुवार को शारजील इमाम, गौतम नवलखा और उमर खालिद के पोस्टर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री Narendra Singh Tomar ने यह भी कहा कि MSP, एएमपीसी किसानों का मुद्दा हो सकता है, लेकिन इस तरह के पोस्टर और इस तरह के मुद्दे को उठाने का क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि कोर इश्यू से मुद्दे को भटकाने के लिए ऐसा किया जा रहा है।


दरअसल, किसान आंदोलन के बीच गुरुवार को मानवाधिकार दिवस के मौके पर टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन किया गया। इस दौरान किसानों के मंच पर एक पोस्टर लगाया गया, जिसमें उमर खालिद, शरजील इमाम, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव समेत अन्य लोगों की रिहाई की मांग की गई थी।

आरोप लगाया गया है कि इन सभी को झूठे केसों में अंदर डाला गया है, ऐसे में सरकार को इन्हें तुरंत रिहा करना चाहिए। हालांकि, अन्य किसान नेताओं ने इस पोस्टर की जानकारी होने से इनकार किया। वहीं, भारतीय Farmer Union एकता के नेता झंडा सिंह का कहना है कि ये सिर्फ हमारे संगठन की ओर से पोस्टर लगाए गए थे। ये सभी बुद्धिजीवी हैं और हमारी मांग है कि जिन बुद्धिजीवियों को जेल में डाला गया है, उन्हें रिहा किया जाए।

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