Kisan Andolan: किसानों के सब्र का इम्तिहान, ठिठुरन वाली ठंड के बीच पड़ रही बारिश की मार

नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर डटे किसान किसी भी कीमत पर टस से मस नहीं हो रहे हैं। कड़ाके की ठंड के बीच अब बारिश भी उनके सब्र का इम्तिहान ले रही है। लगातार दो दिनों से हो रही बारिश की वजह से किसानों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। हालांकि इन सबके बावजूद उनका होंसला डिगा नहीं है और किसान संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार को अल्टिमेटम भी दे दिया है।

दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे किसानों के लिए उस समय समस्या खड़ी हो गई जब आज सुबह बारिश फिर से होने लगी। बारिश से खुद को बचाने के लिए कुछ किसान भागकर टेंट के नीचे पहुंचे तो कुछ ट्रॉली के नीचे छिप गए। कड़ाके की ठंड के बीच हुई बारिश ने ठिठुरन और ज्यादा बढ़ा दी है। कुछ किसानों ने बारिश में भीगते हुए सरकार से कानूनों को वापस लेने की मांग की। एक प्रदर्शनकारी किसान ने बताया कि तिरपाल और जो कुछ भी हम लेकर आए हैं उसी से ठंड और बारिश से अपना बचाव कर रहे हैं।

किसानों के विरोध प्रदर्शन का आज 38वां दिन है। बारिश की वजह से किसानों के सोने के लिए बनाए गए टेंट, कपड़े, ट्रॉली पर बने अस्थाई रैन बसेरे सब भीग चुके हैं। बारिश और ठंड के बीच गाजीपुर (दिल्ली-यूपी बॉर्डर) पर किसानों ने धरना जारी है। एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा कि हम अपने परिवार से दूर ऐसे कठोर मौसम में सड़कों पर रह रहे हैं। हमें उम्मीद है कि सरकार कल हमारी मांगों को मान लेगी।

शनिवार को किसान संगठनों ने सरकार को एक और अल्टिमेटम देते हुए कहा कि अगर 4 तारीख की बातचीत से कोई हल नहीं निकलता या किसानों के पक्ष में सरकार का झुकाव नहीं होता है तो वे 5 तारीख को अपने तय कार्यक्रम के अनुसार केएमपी एक्सप्रेस-वे पर ट्रैक्टर ट्रॉलियों की रैली निकालेंगे। इसके अलावा 26 तारीख को गणतंत्र दिवस परेड की जगह पर वह अपनी ट्रैक्टर ट्रॉलियों और दूसरी गाड़ियों की परेड निकालेंगे। 13 जनवरी को लोहड़ी/ संक्रांति के अवसर पर देशभर में ‘किसान संकल्प दिवस’ के रूप में मनाएंगे। उसी दिन तीनों कृषि कानून की कॉपियां जलाई जाएंगी।

किसान नेताओं ने कहा कि आंदोलनकारी सीमाओं पर 38 दिनों से बैठे हुए हैं। इस दौरान 50 से अधिक किसानों की शहादत हुई है, लेकिन सरकार उन्हें शहीद घोषित नहीं कर रही और ना ही उसे शहीद मानने को तैयार है। हम शांतिपूर्ण तरीके से अपना धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। हमारे ऊपर कई तरह के आरोप भी लगाए गए, कभी नक्सलवाद तो कभी खालिस्तानी और विदेशी फंडिंग तक का आरोप हमारे ऊपर सरकार ने लगाया।

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