युवा प्रधान श्वेता ने गांव को दिलाया पहली पेपर लेस पंचायत का दर्जा

एक ऐसे गांव की बात करते हैं…जो कहने के लिए गांव है लेकिन जब आप यहां की उपलब्धियों की लिस्ट जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे। यहां के ग्राम पंचायत का काम पूरी तरह से डिजिटल है। लखनऊ (Lucknow) के मलिहाबाद तहसील की लतीफपुर (Lateefpur) ग्राम पंचायत डिजिटल इंडिया (Digital India) के सपने को साकार कर रही है।

पूरी तरह से डिजिटल है पंचायत

ग्राम पंचायत के पास 21.1 mbps का इंटरनेट कनेक्शन
गांव में बिजली, सड़क, गोबर गैस प्लांट (Gobar Gas plant), सोलर (solar) की सुविधा
सभी विकास योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी इंटरनेट
वॉयस मैसेज या वीडियो बनाकर ग्रुप में समस्याओं पर होती है चर्चा

इस मुश्किल काम को मुकाम तक पहुंचाया है इंजीनियरिंग कर चुकीं युवा प्रधान श्वेता सिंह (Engineer pradhan Shweta Singh) ने। उन्होंने कागज पर लिखा पढ़ी के बिना ही स्मार्ट गांव की इबारत लिख दी। उनकी इस कोशिश को सरकार ने भी सराहा है और लक्ष्मीबाई अवॉर्ड देकर Laxmibai Award उत्साह बढ़ाया।

गांव की भलाई के साथ ही श्वेता नौजवानों के लिए प्रेरणा बन गई हैं। खासकर वे जो नौकरी की तलाश में शहरों की अंधी दौड़ में व्यस्त हैं। श्वेता ने मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) की डिग्री ली। जिस वक्त उन्होंने यह कोर्स किया, तब नौकरियों की कमी नहीं थी। कई जगह से ऑफर आया। परिजनों और दोस्तों ने भी बड़े शहर की तरफ रुख करने की सलाह दी, लेकिन श्वेता कुछ अलग करना चाहती थीं।

रिकॉर्ड मतों से जीतकर कम उम्र की महिला प्रधान

आखिर में उन्होंने अपने किसान परिवार और बदहाल गांव की तकदीर बदलने की ठानी। धीरे-धीरे कोशिश शुरू कर दी। वह विकास संबंधी सुझाव देतीं। लोगों की मदद करतीं। धीरे-धीरे लोग उनकी बातों को गंभीरता से लेने लगे। इस बीच 2008 में उनकी शादी हो गई, लेकिन अपने सपनों से समझौता नहीं किया। उनका जज्बा देख पेशे से किसान और खुद का व्यापार करने वाले पति अखिलेश सिंह ने भी उनका साथ दिया। 2015 के प्रधान चुनाव में उन्हें उम्मीदवार बनाया। श्वेता पढ़ाई छोड़ने के बाद से ही गांव में सक्रिय थीं। अवसर मुखिया चुनने का आया तो वह लोगों की पहली पसंद बन गईं। रिकॉर्ड मतों से जीतकर कम उम्र की महिला प्रधान बनीं।
पढ़ाई का मिला फायदा

श्वेता इंजीनियर होने के चलते तकनीक को भली भांति समझती थीं। इसीलिए गांव के विकास के लिए उन्होंने इसका भरपूर प्रयोग किया। डिजिटल इंडिया मुहिम का फायदा उठाकर सारे काम कंप्यूटराइज्ड किए। प्रस्ताव बनाने से लेकर शिकायत, भुगतान तक सब कुछ कंप्यूटर पर ही होता है। इसी का नतीजा है कि एक साल के भीतर ही उत्तर प्रदेश की पहली पेपर लेस पंचायत होने का दर्जा हासिल किया। लतीफपुर का पंचायत भवन पूरी तरह से वातानुकूलित है।

ऐसा है लतीफपुर गांव

उत्तर प्रदेश के पहले डिजिटल गांव का दर्जा मिला
जिले में ई स्पर्श योजना पाने वाला पहला गांव बना
1600 परिवारों के इस गांव में सभी पात्रों को पेंशन
100 फीसद लोगों के पास राशन कार्ड, गैस कनेक्शन
गांव की सभी समस्याएं ऑनलाइन दर्ज होती हैं
गांव में डोरस्टेप बैंकिंग की सुविधा। बैंक कर्मचारी खुद घर पहुंचते है

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