खुद को भगवान बताने वाले एक और ढोंगी बाबा का हुआ पर्दाफाश। आयकर विभाग ने खुद को कल्कि भगवान बताने वाले धर्मगुरु के ठिकानों पर छापेमारी की। आयकर विभाग ने 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की जायदाद का पता लगाया है। आयकर विभाग ने 16 अक्टूबर को आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में ‘कल्कि भगवान’ के ठिकानों पर छापा मारा था। आयकर विभाग को खुफिया जानकारी मिली थी कि ये संस्था अपनी कमाई को छिपा रही है. इसके बाद आयकर विभाग ने इस संस्था के 40 ठिकानों पर छापा मारा।
इनकम टैक्स की जांच में पता चला कि इस आश्रम के खातों में अनियमितता तो थी ही इसके पास बेहिसाब संपत्ति का भी खजाना था। सूत्रों के मुताबिक, आयकर विभाग ने 18 करोड़ रुपये के अमेरिकी डॉलर, 88 किलो सोने के जेवरात, जिसकी कीमत 26 करोड़ रुपये आंकी गई है, 1271 कैरेट हीरा, जिसका मूल्य 5 करोड़ रुपये है, जब्त किया है। अगर ‘कल्कि भगवान’ के ठिकानों से मिले कुल अघोषित संपत्ति को जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़ा 500 करोड़ रुपए को पार कर जाता है।
क्या है कल्कि भगवान की असलियत ?
‘कल्कि भगवान’ उर्फ विजय कुमार 70 साल का व्यक्ति है। ये शख्स खुद को भगवान विष्णु का 10वां अवतार बताता है। 1980 में इसने जीवाश्रम नाम की संस्था बनाई और लोगों को वैकल्पिक शिक्षा मुहैया कराने लगा। इसी दौरान इस शख्स ने वननेस विश्वविद्यालय भी खोला। इसकी संस्था कल्याण पाठ्यक्रम का संचालन करती है। विजय कुमार इससे पहले एलआईसी में क्लर्क था। इस आश्रम को विजय कुमार, उसकी पत्नी और उसका बेटा एनकेवी कृष्णा चलाता है।
विदेशों में भी संपत्ति
आयकर की जांच में सामने आया है कि इस संस्था का कारोबार देश के अलावा विदेशों में भी फैला हुआ है। इस संस्था ने विदेशों में पैसा लगाया है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भी इस संस्था ने जमीनें खरीदी हैं। इस संस्था से जुड़ने वालों में कई विदेशी भी शामिल हैं।