सामाजिक-राजनीतिक संगठनों की मांग, अयोध्या फैसले से पहले SC सुरक्षा के जारी करे निर्देश

तीस हजारी कोर्ट कांड के बाद अदालतों की सुरक्षा राम भरोसे हो गई है। पुलिस ने अनऑफिशियल तौर पर सभी स्टाफ को वापस बुला लिया है। ऐसा कोई काम पुलिस नहीं कर रही, जिससे उसे अदालत जाना पड़े या वकीलों से आमना सामना हो।

वहीं इस मामले में पुलिस का कहना है कि यह जरूरी था कि वकीलों को पुलिस की अहमियत का पता चले। वहीं दूसरी तरफ दिल्ली पुलिस के मुख्यालय की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। वहां पर सीआरपीएफ बालों को तैनात कर दिया गया है। हालांकि दिल्ली पुलिस के एडिशनल पीआरओ अनिल मित्तल ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं किया गया है। अदालत में पुलिस की पूरी सुरक्षा है। पुलिस में आत्म सम्मान वाला बल है और वह पूरी ईमानदारी से अपना काम कर रही हैं।

एनएपीएम, रिहाई मंच और सामाजिक-राजनीतिक संगठनों की ओर से बुधवार को गांधी भवन में आयोजित बैठक में प्रदेश के मौजूदा हालात पर चर्चा की गई। बैठक में एनएपीएम से अरुंधती ध्रुव, रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के संदीप पाण्डेय, पूर्व आईजी एसआर दारापुरी, वरिष्ठ पत्रकार शाहीरा नईम, सृजनयोगी आदियोग, फैजान मुसन्ना, राजीव ध्यानी, गोपाल वर्मा, राजीव यादव, नाहिद अकील, गौरव सिंह, राबिन वर्मा, राम दुलार और अन्य लोग शामिल हुए।

बैठक में मुख्य रूप से अयोध्या विवाद पर आने वाले फैसले और नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा की गई। अरुंधती धुरू ने कहा कि मौजूदा समय में प्रशासन के लोगों पर यह बड़ी ज़िम्मेदारी है कि इस स्थिति में किसी भी तरह के तनाव को कैसे रोका जाए। पूर्व आईजी एसआर दारापुरी ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल आम जनता की निजता पर हमला है। एनआरसी को लेकर देश में डर का माहौल बनाया जा रहा है। ऐसी कोशिशों का जमकर विरोध किया जाएगा और देश को असम नहीं बनने दिया जाएगा।

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि देश की मूल समस्याओं से आम जनता का ध्यान हटाकर आभासी मुद्दों की तरफ ले जाया जा रहा है। यह भारत की संवैधानिकता को खतरे में डालने के बराबर है। कई पीढ़ियों से देश में रह रहे लोगों को आखिर कैसे गैर भारतीय बताया जा सकता है। मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय ने कहा कि हमें लोगों के बीच शांति और सद्भाव का सन्देश लेकर जाना चाहिए कि लोग धीरज धरें और अफवाहों से बचें।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि अभी जिस तरह आम जन को परेशान किया जा रहा है, वह बहुत खतरनाक है। वोटर वैरीफिकेशन के बहाने लोगों का नाम मतदाता सूची से बाहर करने की साजिश चल रही है। बीएलओ सभी जगह नहीं पहुंच रहे हैं और लोग परेशान हैं। उन्होंने कहा कि मीडिया की रिपोर्टिंग पर नजर रखे जाने की जरूरत है। साल 2012 में प्रेस काउन्सिल आफ इंडिया द्वारा गठित शीतला सिंह कमीशन ने फैजाबाद सांप्रदायिक हिंसा में कई खबरिया माध्यमों को माहौल खराब करने की कोशिश का दोषी माना था।

सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल वर्मा ने कहा कि अयोध्या फैसले से पहले हमें सुप्रीम कोर्ट से मांग करनी चाहिए कि वह राज्यों को दिशा निर्देश जारी करे कि राज्य बिना भेदभाव के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। इसी कड़ी में सामाजिक कार्यकर्ता गुफरान सिद्दीकी का यह सुझाव भी सर्वसम्मति से पारित हुआ कि विभिन्न संगठनों का प्रतिनिधि मंडल डीजीपी से मिले।

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