शुरुआती जानकारी के मुताबिक, भूकंप का केंद्र दिल्ली से सटे गुरुग्राम के पश्चिम में जमीन से 18 किलोमीटर गहराई में था। दोपहर 1 बजे दिल्ली-NCR में झटके महसूस किए गए। इससे पहले आए झटकों का केंद्र कभी दिल्ली, कभी फरीदाबाद, रोहतक रहा है।
देश की राजधानी में सोमवार दोपहर फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। दिल्ली पिछले दो महीने से लगातार हल्के झटकों का शिकार हो रही है। इससे लोगों में पैनिक फैल रहा है। 8 जून को दोपहर 2.1 तीव्रता का भूकंप आया जिसका केंद्र हरियाणा के गुरुग्राम में बताया जा रहा है। दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटकों की शुरुआत 12 अप्रैल (3.5 तीव्रता) से हुई। तब से अबतक अलग-अलग दिन 14 बार झटके लग चुके हैं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि इन्हें हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। ये किसी बड़े भूकंप का संकेत हो सकते हैं।
इइंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) के अलग-अलग एक्सपर्ट्स दिल्ली-NCR में बड़ा भूकंप आने की चेतावनी दे चुके हैं। जानकार मानते हैं कि हल्के झटकों को चेतावनी की तरह देखा जाना चाहिए। IIT धनबाद के डिपार्टमेंट्स ऑफ अप्लाइड जियोफिजिक्स और सीस्मोलॉजी के मुताबिक, दिल्ली और NCR में हाई इन्टेंसिटी का भूकंप आ सकता है। IIT कानपुर के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि दिल्ली-हरिद्वार रिज में खिंचाव के कारण आए दिन धरती हिल रही है। इस वजह से झटकों का दौर जारी रहेगा। नैशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी (NCS) के पूर्व हेड एके शुक्ला कहते हैं कि छोटे भूंकप को चेतावनी के रूप में जरूर देखा जा सकता है।
भूकंप के लिहाज से, भारत को 4 अलग-अलग जोन में डिवाइड किया गया है। हाई इन्टेंसिटी जोन V से लो इन्टेंसिटी जोन II तक। दिल्ली-NCR जोन IV में आता है, जिसे ‘गंभीर’ माना जाता है। राजधानी दिल्ली देश में सबसे अधिक भूकंप अनुभव करने वाले शहरों में से एक है। हिमालय पर्वत श्रृंखला से लगभग 280 से 350 किमी की दूरी पर स्थित दिल्ली हिमालय के सक्रिय मुख्य सीमा थ्रस्ट (MBT) से दूर नहीं है, जो कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक जाती है।