कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर चल रहा Kisan Andolan बुधवार को 21वें दिन में प्रवेश कर गया। दिल्ली से सटे हरियाणा के सिंघु और टीकरी Border के साथ दिल्ली-यूपी गेट पर हजारों किसान Protest कर रहे हैं। इस बीच प्रदर्शनकारी किसानों ने नोएडा-दिल्ली को जोड़ने वाले लिंक रोड को बंद कर दिया है, जिससे वाहन जहां के तहां खड़े हैं। वहीं, Singhu Border पर धरने पर बैठे किसानों ने मंगलवार को दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाले चिल्ला Border को फिर से बंद करने की चेतावनी दी थी। इस बॉर्डर को कुछ दिन पहले ही आंशिक रूप से खोला गया था। इसके बंद रहने से दिल्ली-नोएडा आने-जाने वाले हजारों लोगों को मुश्किल हो रही है। इसके साथ ही किसान नेताओं ने कहा कि पहले केंद्र सरकार तीनों कानूनों को रद करे इसके बाद ही कोई बात की जाएगी।
वहीं, खबर आ रही है कि कुंडली Border पर बुधवार को भी एक धरनारत किसान की मौत हो गई। बढ़ती ठंड और हृदयाघात से पटियाला के भातसो गांव निवासी 62 वर्षीय किसान पाला सिंह की मौत हो गई। सूचना पर थाना कुंडली पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल (सोनीपत) भिजवाया। धरनास्थल पर पिछले 3 दिनों में यह लगातार तीसरी मौत है। अब तक कुल 21 किसानों की मौत हो चुकी है।
इस बीच Singhu Border किसानों ने अब आक्रामक रुख भी अख्तियार कर लिया है और पुलिस की ओर से सड़क पर लगाए गए सीमेंट के बैरिकेड को हटाकर उसी जगह पर कई ट्रैक्टरों को भी खड़ा कर दिया है। इससे पूर्व Singhu Border पर दिल्ली की तरफ धरना दे रहे किसानों ने सोमवार को न केवल मंच बना दिया, बल्कि ठंड व बारिश से बचने के लिए उसके ऊपर शामियाना भी तान दिया।
पत्रकारों से बातचीत में किसान नेता ऋषिपाल अंबावता ने कहा कि भ्रमित करने के बजाय सरकार कानून रद करने को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करे। वहीं, किसान जगजीत सिंह ने कहा कि Andolan को लेकर मंगलवार को पहले पंजाब के और फिर देशभर के किसान संगठनों की बैठक हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि उनका शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहेगा।
किसानों की तरफ से बताया गया कि Andolan में अब तक 20 किसानों की मौत हो चुकी है। इनकी याद में देशभर 20 दिसंबर को सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक श्रद्धांजलि सभा आयोजित होगी। किसान नेताओं ने इस दौरान PM नरेंद्र मोदी के फिक्की आडिटोरियम में दिए बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने बैठक में कारपोरेट जगत के लोगों से कहा कि सरकार ने उनके लिए कृषि क्षेत्र को खोल दिया है। मतलब, खेती को अब सरकार कारपोरेट जगत के लिए बाजार बना रही है। इससे किसान की भलाई कैसे संभव है, यह प्रधानमंत्री नहीं बता रहे हैं। किसान नेताओं ने कहा कि जब किसान से बिना पूछे कानून बनाए हैं, तो इसी तरह बिना पूछे इन्हें वापस भी लिया जाए। पत्रकार वार्ता में दिल्ली से युद्धबीर सिंह, पंजाब से लखवीर सिंह, महाराष्ट्र से संदीप गड्डे्, हरियाणा से इंद्रजीत सिंह आदि शामिल हुए थे।